लोहा, सरिया, सीमेंट और बजरी महंगी होने के कारण 11 करोड़ 98 लाख में तीन मंजिला बनाना है
 

 इंदौर।   जिला अस्पताल की नई तीन मंजिला इमारत बनाने का काम एक बार फिर अटकता नजर आ रहा है । लोहा, सरिया, सीमेंट, बजरी व रेत के लगातार बढ़ते भाव से परेशान होकर ठेकेदार ने हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को कह दिया है कि अभी तक जितना सामान पहले से खरीदकर रखा है उससे जितना काम हो सकेगा कर दूंगा, मगर इसके बाद काम नहीं कर पाऊंगा। निर्माण में लगने वाला हर सामान इतना महंगा हो गया कि पैसे कमाना तो दूर उलटे जेब से लगाना पड़ेंगे।

धार रोड पर 100 बिस्तरों वाला तीन मंजिला जिला अस्पताल

हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाया जा रहा है टेंडर में किए गए अनुबंध के अनुसार 1 अप्रैल 2021 से अक्टूबर 2022 तक, यानी 18 माह में बनाकर तैयार होना था। इसे बनाने का ठेका 11 करोड़ 98 लाख रुपए में गुरमीतसिंह ने लिया था। ठेकेदार गुरमीतसिंह का कहना है कि पहले कोरोना संक्रमण के कारण बार-बार काम अटकता रहा, अब महंगाई के चलते काम करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव हो रहा है, क्योंकि सरिए की कीमत प्रतिकिलो 30 रुपए से ज्यादा बढ़ गई है।

 सीमेंट, रेत, बजरी व बालू के भाव भी बढ़ चुके हैं

स्थानीय जनप्रतिनिधियों व शासन द्वारा पिछले 10 साल से नया जिला अस्पताल बनाने की योजना कई बार बनाई जा चुकी है। जैसे-तैसे 2020 में शासन ने जिला अस्पताल बनाने की योजना को हरी झंडी दी। इस बार 300 बिस्तरों वाला 5 मंजिला अस्पताल बनाने की डीपीआर बन गई, फिर अचानक उसमें परिवर्तन करते हुए इसे 100 बिस्तरों तक सीमित कर 3 मंजिला बनाने की अनुमति दे दी। अब इस नई योजना के अनुसार नए सिरे से तैयारियां की गईं। अब इसमें महंगाई का नया पेंच फंस गया है।

कुल मिलाकर बार-बार किसी न किसी वजह से पिछले 10 सालों से जिला अस्पताल बनाने का काम अटकता रहा है, जिससे इसकी लागत बढ़ती जा रही है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि समय के साथ पिछले 10 सालों से आबादी बढ़ती जा रही है । शासन ने 10 साल बाद भी इसे 100 बिस्तरों वाला अस्पताल बनाने की अनुमति दी है, जबकि शहर के विकास व बढ़ती आबादी के चलते क्षेत्र में कम से कम 300 बिस्तरों वाले अस्पताल की सख्त जरूरत है।