इन मुद्दों से भूपेश बघेल को मात देने की बनाई रणनीति
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उलट प्रहार के प्रयास में हैं। कांग्रेस के जातिवादी गणित के कारण संसदीय चुनाव में जिला छोड़ने को मजबूर बघेल विष्णुदेव सरकार पर आरोप लगा रहे हैं तो वहीं भाजपा दावा कर रही है कि अब बघेल भ्रष्टाचार पर स्वीकारोक्ति के भाव में फंसने लगे हैं।
भाजपा ने शनिवार को दुर्ग में उन्होंने एक साथ चावल मिलिंग, कोयला परिवहन और शराब घोटाले का मुद्दा उछाला। अभी तक भाजपा उन्हें महादेव सट्टा, राशन सहित प्रदेश के सभी घोटालों का संरक्षक और कांग्रेस आलाकमान का एटीएम बताती रही है।
भाजपा ने मांगी सफाई
पार्टी कार्यालय के उद्घाटन समारोह में उन्होंने साय सरकार पर प्रदेश की जनता से आय के साधन छीनने के साथ भ्रष्टाचारियों से समझौता कर लेने का आरोप लगा दिया। इसके बाद हमलावर भाजपा ने उन पर सनातन का अपमान करने का आरोप लगाते हुए भूपेश से सौम्या चौरसिया से भ्रष्टाचारी संबंधों पर सफाई तक मांग ली है।
इसमें दो राय नहीं कि सत्ता जाने के बाद से बघेल कुछ ज्यादा ही बेचैन हैं। ईडी की कार्रवाइयों के बाद ईओडब्ल्यू और एसीबी ने पहले ही चैन छीन रखी थी। एक-एक कर उनके सहयोगी घिरते जा रहे हैं।
महादेव सट्टा एप के संचालकों से 508 करोड़ रुपये लेने के आरोप में पिछले महीने उनके खिलाफ केस भी दर्ज हो चुका है। दुर्ग और भिलाई के युवाओं को सट्टेबाज बनाने तथा पूरे देश में सट्टेबाजी का जाल बिछाने वालों को संरक्षण देने के नाम पर वसूली करने वालों में उनके सलाहकार विनोद वर्मा भी जांच के घेरे में है। भाजपा ने अब उनकी दुखती रग को दबा दिया है।
तीसरे दिन सौम्या बनी थी उप सचिव
सौम्या चौरसिया को बघेल ने इतनी ताकत दे रखी थी कि उसकी एक आवाज पर बड़े-बड़े मंत्री-अफसर कांप जाते थे, उसी के साथ संबंधों पर भूपेश से सवाल हैं। भाजपा प्रदेश महासचिव संजय श्रीवास्तव ने बघेल से पूछा है कि 540 करोड़ रुपये के कोयला परिवहन घोटाले में सौम्या को पिछले 15 महीनों से जमानत क्यों नहीं मिल पा रही?
सौम्या दिसंबर 2022 से जेल में हैं। यह वही सौम्या हैं जिन्हें भूपेश सरकार में सुपर सीएम कहा जाता था। दोनों के निकट संबंधों को स्पष्ट और स्थापित करने के लिए यह बताया जाता रहा है कि बघेल ने सीएम बनने के तीसरे ही दिन सौम्या को अपना उप सचिव नियुक्त कर दिया था।
इस बयान से गर्माया राजनीतिक पारा
भाजपा का आरोप है कि भूपेश सनातन का अपमान करने वाले अपने पिता नंद कुमार की राह पर चल पड़े हैं। विष्णु को भ्रष्टाचार का भोग और तर्पण वाले बयान के कारण राजनीतिक पारा गर्म हो गया है। बघेल की बेचैनी के और भी कारण हैं।
राजीव मितान क्लब और गोबर खरीदी जैसी योजनाओं के माध्यम से कांग्रेस समर्थक तैयार करने की योजना शिथिल पड़ गई है। बेरोजगारी भत्ते का भुगतान भी नहीं हो रहा है। दूसरी तरफ 3100 रुपये की दर से धान खरीद और एक हजार रुपये की दर से महतारी वंदन का भुगतान शुरू हो गया है।
अभी तक जेल में हैं ये चेहरे
उधर, कोयला परिवहन घोटाले में सौम्या के साथ ही आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और रानू साहू के साथ कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल आदि अभी तक जेल में हैं। विधायक देवेंद्र यादव और चंद्रदेव राय भी आरोपों के घेरे में हैं। भाजपा के दोबारा सत्ता में आने पर संविधान में बदलाव और लोगों की आमदनी कम हो जाने जैसे बघेल के आरोपों ने भाजपा को आक्रामक कर दिया है।
क्या उलटा पड़ा बघेल का दांव?
वैसे जातीय आधार पर सामाजिक तोड़फोड़ की राजनीति के माहिर भूपेश को विधानसभा चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर उलट दांव लग चुका है। उनकी जमीन खिसक गई है। अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग उठाते समय सवर्ण जातियों पर हमलावर होते हुए वह यह भूल गए थे कि प्रदेश की ओबीसी आबादी में बमुश्किल छह प्रतिशत होते हुए भी अगर कुर्मी मुख्यमंत्री हो सकता है तो ओबीसी में 24 हिस्से प्रतिशत वाला साहू समाज उन्हें क्यों स्वीकार करे।
सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (ईडब्ल्यूएस) का आरक्षण केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की सहमति के बाद भी 10 से घटाकर चार प्रतिशत कर दिया। परिणाम यह रहा कि भले ही बघेल गृह जिला दुर्ग से कांग्रेस के चार उम्मीदवार हैं और उनकी सरकार में गृह मंत्री रहे ताम्रध्वज साहू को अपना क्षेत्र छोड़ महासमुंद से मैदान में उतरना पड़ा है।
बघेल स्वयं भी राजनांदगांव से उम्मीदवार हैं, जबकि भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को बिलासपुर से संसदीय चुनाव में उतारा है। प्रदेश की ओबीसी आबादी में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ यादव दूसरे स्थान पर हैं और दुर्ग में साहू आबादी को देखते हुए राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा है।
भाजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुई भूपेश बघेल की बातों में इस बात की स्वीकारोक्ति तो उभर ही आती है कि कांग्रेस कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुए हैं। अब यह विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार की जवाबदेही है कि सच्चाई सामने आए ताकि भ्रष्टाचारी जल्द से जल्द सलाखों के पीछे हों।