बेसहारा पशुओं से लगातार सड़क दुर्घटना और लोगों की मृत्यु के बाद अब राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य मार्गों के समीप गोशाला खोलने के लिए सहमति बन चुकी है। छत्तीसगढ़ राज्य गो-सेवा आयोग ने अशासकीय संस्थाओं, एनजीओ से नए गोशालाओं के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किया है। गो-सेवा आयोग का तर्क है कि बेसहारा पशुओं के व्यवस्थापन करने के बाद उन्हें सड़क पर आने की जरूरत नहीं होगी। गोशाला में ही उनके खाने-पीने, रहने का इंतजाम किया जाएगा।

यातायात विभाग की रिपोर्ट पर गौर करें तो 18 महीनों में बेसहारा पशुओं की वजह से या इनसे टकराकर 128 लोगों की मौत हो चुकी है। 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक प्रदेश में 141 दुर्घटनाओं में 92 लोगों की मौत हो गई, वहीं 51 घायल हुए, वहीं 1 जनवरी 2023 से 15 जुलाई 2023 के बीच 55 सड़क दुर्घटना में 36 लोगों की मृत्यु और 15 घायल हुए। राज्य गो-सेवा आयोग के अधिकारियों ने बताया कि गोशाला के पंजीयन के बाद संस्थाओं को अनुदान राशि का अनुमोदन किया जाएगा।

बेसहारा पशुओं के व्यवस्थापन के लिए मुख्य सचिव ने प्रदेशभर में सघन अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही शहरों में कम से कम एक सड़क को पशुविहीन करने को कहा गया है। इससे पहले मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग के साथ बैठक की जा चुकी है। जिन जिलों में ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुई है। वहां राष्ट्रीय राजमार्गों के आस-पास गोशाला का सुझाव दिया गया था, जिन जिलों में ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, उनमें रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा आदि जिले शामिल हैं।