हरियाणा के कई जिलों में बारिश अलर्ट जारी
हरियाणा । मंगलवार को मौसम में आए बदलाव के बाद बुधवार को सुबह से बरसात जारी है। बरसात होने के बाद ठंड भी बढ़ गई है। इसके साथ ही हल्का कोहरा छाया है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार आठ जनवरी तक बरसात होने की संभावना बनी रहेगी। इस मौसम से गेहूं की फसल को फायदा मिलेगा। जबकि सब्जियों को नुकसान हो सकता है। बता दें कि जिले के सीवन क्षेत्र में सबसे अधिक सब्जियों की खेती की जाती है। ऐसे में तेज बरसात होने की स्थिति में इस क्षेत्र के किसानों को नुकसान हो सकता है। बरसात के कारण अधिकतम तापमान भी लुढ़का है। सुबह 10 बजे तक अधिकतम तापमान 18 डिग्री रहा है।
गेहूं की फसल को मिलेगा फायदा
चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य समन्वयक डा. रमेश चंद्र वर्मा ने बताया कि इस मौसम में गेहूं की फसल को फायदा मिलेगा। बरसात से खेतों में गेहूं व सरसों की फसल को कोई नुकसान नहीं है। जबकि यदि अधिक तेज बरसात होती है तो सब्जियों की फसल को अधिक नुकसान होगा। आठ जनवरी तक बरसात होने की संभावना है। वर्मा ने कहा कि बरसात होने पर किसान अपने खेतों में कृषि विज्ञानी की सलाह के बाद ही गेहूं की फसल में पानी दें। यदि बिना सलाह के ही खेतों में पानी दिया जाएगा तो गेहूं की फसल को भी नुकसान होने की अधिक आशंका रहेगी।
जींद में बारिश से मंडियों में धान व अन्य फसलों की खरीद रुकी
जींद में आसमान में बादल छाए हुए हैं और सुबह से ही बूंदाबांदी हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार आठ जनवरी तक तेज हवाओं, गर्जन व चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। बारिश से जहां गेहूं व अन्य फसलों को फायदा होगा। वहीं मंडियों में पड़ी फसलों के भीगने का डर सता रहा है। अनाज मंडियों में लाखों क्विंटल धान की फसल पड़ी है। किसान पहले भाव में तेजी आने की उम्मीद में फसल को घर पर स्टाक किए हुए थे। लेकिन जब भाव बढ़ने की बजाय नीचे आने लगे, तो किसानों ने फसल मंडियों में लाना शुरू किया। जींद अनाज मंडी में धान की फसल के बड़े-बड़े ढेर लगे हुए हैं। बुधवार को सुबह से हो रही बूंदाबांदी की वजह से धान की खरीद भी नहीं हो पाई।
आठ जनवरी तक छाए रहेंगे बादल
बारिश से बचाने के लिए किसानों ने ढेरियों पर तिरपाल ढके हुए हैं। काफी ढेरियां खुली पड़ी हैं और भीग रही हैं। आठ जनवरी तक आसमान में बादल छाए रहेंगे और बारिश होने के आसार हैं। बारिश से नमी बढ़ेगी, जिसके कारण धान व अन्य फसलों की खरीद बाधित होगी। बता दें कि पिछले सीजन में जहां बासमती 1121, 1718 धान की फसल ढाई हजार से 30 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिकी थी। इस सीजन में भाव चार हजार के पार भी पहुंच गए थे। लेकिन काफी किसान उम्मीद जता रहे थे कि भाव 4500 रुपये तक पहुंचेंगे। इसके कारण उन्होंने फसल नहीं बेची। लेकिन दिसंबर में लगातार गिरावट दर्ज की गई और भाव 3400 से 3700 रुपये तक रहे। वहीं बासमती धान, जिसके 1121 किस्म धान से ज्यादा भाव मिलते थे। इस बार बासमती धान के भाव 1121 बासमती धान से भी नीचे आ गए। जिससे किसानों के साथ-साथ आढ़ती भी असमंजस में हैं। बासमती धान का उत्पादन कम रहता है, लेकिन भाव ज्यादा रहते थे। इस बार भाव कम रहने के कारण किसानों का बासमती धान की फसल से मोह भंग हो सकता है।