भोपाल । कोरोना वायरस के वैरिएंट का पता लगाने के लिए सप्ताह भर में यह सुविधा प्रारंभ हो जाएगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एम्स भोपाल में जांच का दबाव कम होगा। यहां विगत सोमवार को जीनोम सीक्सेंसिंग मशीन लगाई गई है। अभी यहां पर 400 से ज्यादा सैंपलों की जांच अटकी है। हालांकि राहत की बात यह है कि पिछले तीन महीने से आ रही जांच रिपोर्ट में सिर्फ ओमिक्रोन के मामले ही मिल रहे हैं। इस वैरिएंट को कम संक्रामक माना जाता है। इस कारण जांच में देरी से भी कोई दिक्कत नहीं आ रही है। एम्स के बाद प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में लगाई गई जीनोम सीक्वेंसिंग की यह पहली मशीन है। सैंपल पहुंचने के अधिकतम पांच दिन के भीतर इस मशीन से जांच कर यह पता लगाया जा सकेगा कि पाजिटिव आए सैंपल में कोरोना का कौन सा वैरिएंट है। भोपाल में करीब महीने भर बाद बुधवार को कोरोना के पांच नए मरीज मिले हैं। 366 सैंपलों की जांच में इतने संक्रमित पाए गए हैं। भोपाल में अभी 12 सक्रिय मरीज हैं। इनमें एक को छोड़ सभी होम आइसोलेशन में हैं। उधर, प्रदेश में 8022 सैंपलों की जांच में 15 मरीज मिले हैं। प्रदेश में सक्रिय मरीजों की संख्या अब 83 हो गई है। इनमें सिर्फ दो मरीज ही अस्पतालों में भर्ती हैं। इस सुविधा को लेकर जीएमसी के डीन डा. अरविंद राय ने बताया कि मशीन को लगाने का काम चल रहा है। एक हफ्ते के भीतर जांचें शुरू हो जाएंगी। यह मशीन नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की तरफ से प्रदेश सरकार को मिली है। एम्स में लगी मशीन एम्स प्रबंधन की है, लेकिन जांच किट के लिए राशि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने दी थी। अभी पूरे प्रदेश से जांच के लिए सैंपल यहां पर ही भेजे जा रहे हैं।