केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा है कि सीतामढ़ी में मां सीता की 251 फ़ीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण इसी वर्ष शुरू कर दिया जायेगा। इसके लिए सभी आवश्यक तैयारियां कर ली गई हैं। रामायण रिसर्च कॉउंसिल के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ऋषि और कृषि की परंपरा ही सनातन धर्म है। यह आदिकाल से चलती आ रही है और आगे अनन्त काल तक चलती रहेगी। 

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि राम मंदिर बनने के बाद सबसे बड़ी चुनौती यही है कि राम का आचरण लोगों के जीवन में आये। उन्होंने कहा कि राम का जीवन केवल उपदेशक मात्र की नहीं है, अपितु यह आचरण को प्रेरित करती है। राम मंदिर निर्माण के बाद यही प्रयास किया जाना चाहिए कि भगवान राम का आचरण लोगों के जीवन में आये। 

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी जी महाराज ने कहा कि वह अखाड़ा परिषद से भी वार्ता कर चुके हैं। पूरे देश के संत समाज को रामायण रिसर्च काउंसिल के अंतर्गत मां सीताजी के इस कार्य से जोड़ा जाएगा। विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष डॉ. आलोक कुमार ने कहा कि वह स्वयं सीतामढ़ी जाकर काउंसिल के अंतर्गत हो रहे इन कार्यों को देख चुके हैं और अब तो भगवान श्रीराम के जन्म-स्थान के बाद मां सीताजी के प्राकट्य क्षेत्र पर भव्य मंदिर की ही बारी है, इसलिए उनका मानना है कि जन-जन को इस अभियान से जुड़ना चाहिए।

महामंडलेश्वर भैया जी महाराज ने कहा कि हम जल्द ही संतों के बीच एक बड़ा अभियान चलाने वाले हैं। अयोध्या की ही तरह हम इसे भी बड़ा स्वरूप देंगे। महामंडलेश्वर वैराज्ञानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि वह कई राज्यों में लोगों से संपर्क कर रहे हैं। इसका वृहद प्रचार-प्रसार हो, इसके लिए मातृ-शक्तियों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। कार्यक्रम में मॉरिशस के उच्चायुक्त एच.ई. हेमोनडोयल डिलियम ने कहा कि वह काउंसिल के इस संकल्प की सराहना करते हैं और वह अपने देश में भी इन कार्यों की जानकारी देंगे और हरसंभव सहयोग करेंगे।