जयपुर. लोकसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही राजस्थान में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. राजस्थान में दो चरणों में होने वाले चुनावों में पहले चरण में 12 सीटों के लिए 19 अप्रेल को मतदान किया जाएगा. हालांकि राजस्थान में अभी तक बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी की पूरी 25 सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारे हैं लेकिन फिर भी दोनों ही पार्टियों के कई कद्दावर नेताओं की साख दांव पर लगी है. पहले चरण की 12 सीटों में से हॉट सीट की बात की जाए इनमें नागौर,अलवर और चूरू सर्वाधिक चर्चा में है.

नागौर से कांग्रेस पार्टी से कभी सांसद रही ज्योति मिर्धा ने विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा का दामन थाम लिया था. उसके बाद बीजेपी ने उनको विधानसभा चुनाव में मैदान में उतारा. लेकिन वे हार गईं. उसके बावजूद बीजेपी ने अब उनको नागौर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. ज्योति यहां पिछली बार कांग्रेस से प्रत्याशी थी. इससे पहले वे एक बार नागौर की सांसद रह चुकी हैं. नागौर की राजनीति में मिर्धा परिवार की तूती बोलती रही है.

नागौर की सियासत में हो चुका है बड़ा उल्टफेर
पिछले चुनाव में इस सीट पर भाजपा का आरएलपी से पैक्ट हुआ था. उसके बाद एनडीए ने यह सीट उसके लिए छोड़ दी थी. आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने यहां से चुनाव मैदान में उतरकर जीत दर्ज की थी. लेकिन सियासत में इस बार उलटफेर हो गया है. बीजेपी ने यहां ज्योति को मैदान में उतारकर अपनी रणनीति साफ कर दी है. लेकिन कांग्रेस ने यहां से अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है.

नागौर में मिर्धा, बेनीवाल और चौधरी तीनों की प्रतिष्ठा दांव पर है
इस सीट पर इस बार आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल की साख दांव पर रहने वाली है. वहीं भाजपा ने यहां से 2014 में सांसद रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सी.आर चौधरी को किसान आयोग का अध्यक्ष बना दिया है. इससे उनकी साख भी नागौर से दांव पर लग गई है. अभी कांग्रेस से प्रत्याशी घोषित नहीं हुआ है. उसका आरएलपी से पैक्ट होने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में ज्योति मिर्धा, हनुमान बेनीवाल और सीआर चौधरी तीनों की सांख दांव पर रहने वाली है.


अलवर सीट इसलिए बनी है ‘हॉट सीट’
अलवर सीट पर इस बार भाजपा ने राज्यसभा सदस्य एवं केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को मैदान में उतारा है. यहां से पिछली बार चुनाव में बाबा बालकनाथ ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने यहां विधायक ललित यादव को मैदान में उतार कर रोचकता ला दी है. इस सीट पर भाजपा के तिजारा विधायक बाबा बालकनाथ और विधायक जसवंत यादव सहित राज्य सरकार में मंत्री संजय शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वहीं कांग्रेस खेमे से देखें तो पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह के साथ में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली और रामगढ़ विधायक जुबेर खान की साख भी दांव पर लगी है. सिंह अलवर से सांसद और केन्द्र में मंत्री रहे हैं. यहां के टीकाराम जूली वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष हैं.

चूरू में राहुल कांग्रेस सिंबल पर चुनाव मैदान में उतरे हैं
राजस्थान की चूरू सीट पर इस बार काफी उलटफेर देखने को मिला है. इसकी वजह है यहां से लगातार रहे दो बार सांसद रहे राहुल कस्वां का इस बार बीजेपी ने टिकट काट दिया है. इससे नाराज राहुल कस्वां ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और वहां से टिकट ले आए. भाजपा ने यहां देवेन्द्र झाझड़िया को टिकट दिया है. यहां राहुल को टिकट नहीं मिलने पर उन समेत उनके समर्थकों ने चूरू की सियासत की धुरी रहे बीजेपी के दिग्गज नेता राजेन्द्र राठौड़ को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की.

राठौड़ और कस्वां में है राजनीतिक अदावत
राठौड़ और कस्वां की राजनीतिक अदावत किसी से छिपी नहीं है. लिहाजा यहां अब बीजेपी को जिताने के लिए राजेन्द्र राठौड़ की साख दांव पर है. वहीं कांग्रेस खेमे से राजेन्द्र राठौड़ को तारानगर से चुनाव हराने वाले कांग्रेस विधायक नरेन्द्र बुढानिया की साख प्रतिष्ठा पर लगी है. दूसरी तरफ राहुल कस्वा ने पार्टी बदलकर जिस तरह से खुद को साबित करने के लिए कांग्रेस से टिकट हासिल किया है उससे उनकी प्रतिष्ठा और राजनीतिक करियर भी दांव पर लगा है.