चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो रही है. ऐसे में लोग मां दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं. लेकिन अगर आप अमेठी में हैं, तो आपको कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है. जिले में एक-दो नहीं माता रानी के 5 प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूरी होती है. इन सिद्धपीठों की अलग-अलग मान्यताएं भी हैं, जिसके कारण नवरात्रि में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं
अमेठी के गौरीगंज जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर स्थित मां दुर्गा भवानी का मंदिर सिद्धपीठ है. चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि के समय यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. बताया जाता है कि यह मन्दिर शताब्दी वर्ष पुराना है. मंदिर के पास एक प्राचीन सगरा भी है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसके नीर से आंखों की बीमारी दूर होती है.
अमेठी के सग्रामपुर के भौसिंहपुर गांव में है शक्ति पीठ मां कालिका धाम. यह महर्षि च्यवन मुनि की तपोस्थली कही जाती है. कहा जाता है की महर्षि च्यवन तपस्या में इतने लीन हो गए कि दीमकों ने उनके शरीर पर कब्जा जमा लिया. एक बार अयोध्या की राजकुमारी सुकन्या वहां आई और महर्षि के ऊपर से दीमक हटाने लगी, इससे ऋषि की आंख फूट गई जिसके बाद उन्हें महर्षि की सेवा में यहीं रुकना पड़ा. देवताओं के वैद्य अश्विन कुमार ने महर्षि की आंखों का उपचार किया. इसके बाद मां कालिका भी इसी स्थान पर विराजमान हो गईं. मान्यता है कि यहां के जल से स्नान करने पर चर्म रोग दूर होता है.
अमेठी शहर में मौजूद देवीपाटन धाम शताब्दी वर्ष प्राचीन मंदिर है. मंदिर की मान्यता है कि यहां घी के दीपक जलाने और टिकरी चढ़ाने से हर मान्यता पूरी होती है. संतान की प्राप्ति के लिए भी लोग मां भवानी के इस दरबार में अर्जी लगाने आते हैं.
अमेठी के सिंहपुर गांव में मौजूद मां अहोरवा भवानी धाम की स्थापना पांडवों ने की थी, ऐसी मान्यता है. अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां रात बिताई. इसी दौरान अर्जुन को मां भवानी ने स्वप्न में दर्शन दिए. माता ने अर्जुन को विजयश्री का वरदान दिया, जिसके बाद पांडवों ने इस मंदिर की स्थापना की. मान्यता है कि मां भवानी के आशीर्वाद से नि:संतानों को संतान की प्राप्ति होती है.
हिंगलाज धाम मंदिर मुसाफिरखाना क्षेत्र के दादरा गांव में स्थित है. वर्ष के बारहों महीने इस मंदिर में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं. मंदिर की स्थापना 600 वर्ष पूर्व तुलसीदास के शिष्य और समकालीन रहे बाबा पुरुषोत्तम दास ने की थी. मान्यता है कि मंदिर में मौजूद अमृत सरोवर के नीर से आंखों की बीमारी ठीक होती है. मांएं अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना के लिए टिकरी चढ़ाती हैं. पुत्र प्राप्ति के लिए घंटियां बांधकर मां भवानी से आराधना करती हैं.