इस्लामाबाद। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवाद को लेकर एक बार विवाद गहरा गया है। दोनों देश एक दूसरे को गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी दे रहे हैं। दरअसल, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी थी कि आतंकवाद के खिलाफ शुरू किए गए सैन्य अभियान के तहत अफगानिस्तान में प्रतिबंधित आतंकवादी समूह टीटीपी के ठिकानों को निशाना बना सकता है। इससे अफगानिस्तान तिलमिला उठा। उसने शुक्रवार को पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर उसके देश में घुसपैठ की गई तो उसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। अफगानिस्तान रक्षा बल ने चेतावनी दी कि हमारे क्षेत्र में किसी भी प्रकार की घुसपैठ, चाहे वह किसी भी बहाने या आड़ में हो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे और उल्लंघनकर्ताओं को जवाबदेह ठहराया जाएगा। रक्षा बल ने आगे कहा कि अफगानिस्तान की राष्ट्रीय संप्रभुता के संभावित उल्लंघन के संबंध में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का हालिया बयान मूर्खतापूर्ण है और यह मामला उलझाने की कोशिश है। इससे किसी को फायदा नहीं होने वाला है। पाकिस्तान के नेतृत्व को महत्वपूर्ण मुद्दों पर इस तरह के संवेदनशील बयान देने से बचना चाहिए। पाकिस्तान की सरकार ने पिछले सप्ताह अज्म-ए-इस्तेहकम (जिसका अर्थ है स्थिरता के लिए संकल्प) नाम के सैन्य अभियान को मंजूरी दी थी। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य पाकिस्तान के खिलाफ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के विद्रोहियों द्वारा अपनी सरजमीं का इस्तेमाल रोकना है। एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में आसिफ ने कहा कि आतंकवाद रोधी अभियान शुरू करने का फैसला किसी भी जल्दबाजी में नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा, 'अज्म-ए-इस्तेहकाम के बारे में फैसला आर्थिक कठिनाइयों के कारण लिया गया और यह सीमा पार टीटीपी के पनाहगाहों को भी निशाना बना सकता है।' रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ नहीं होगा, क्योंकि अफगानिस्तान पाकिस्तान में आतंकवाद का निर्यात कर रहा है और वहां निर्यातकों को शरण दी जा रही है। टीटीपी पड़ोसी देश से अपनी गतिविधियां चला रहा है, लेकिन इसके कुछ हजार कैडर देश के अंदर से ही काम कर रहे हैं। उन्होंने प्रतिबंधित संगठन के साथ बातचीत की किसी भी संभावना से इनकार करते हुए कहा कि इसका कोई साझा आधार नहीं है।