झारखंड आदिवासी महोत्सव, 2023 में जनजातीय समुदाय की विविधता के दर्शन होंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस आयोजन को विश्वस्तरीय बनाने में लगे हैं। इसका आयोजन नौ एवं 10 अगस्त को बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान, रांची में होगा।

सेमिनार में इन विषयों पर की जाएगी चर्चा

दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम में होगा आदिवासी साहित्य सेमिनार का आयोजन होगा, जिसमें साहित्य, आदिवास की सांस्कृतिक विरासत एवं इतिहास पर बात होगी। सेमिनार में जनजातीय अर्थव्यवस्था, आदिवासी साहित्य, जनजातीय ज्ञान, मानव विज्ञान के अतीत और भविष्य आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी।

जनजातीय अर्थव्यवस्था

एक राष्ट्र के आर्थिक विकास में जितना महत्वपूर्ण योगदान शहरी अर्थव्यवस्था का होता है, उतना ही जनजातीय अर्थव्यवस्था का भी होता है। इस सेमिनार में आर्थिक व्यवस्था के दोहरे उद्देश्यों पर विशेष चर्चा की जाएगी। इसमें डॉ. सी पी चंद्रशेखर, डॉ. जयति घोष, डॉ. अमित भादुरी, डॉ. प्रवीण झा, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. जीनड्रेज़, डॉ. बेला भाटिया, डॉ. रमेश शरण, डॉ. जया मेहता, पी. साईनाथ का संबोधन होगा।

जनजातीय ज्ञान, मानवविज्ञान से जुड़ा अतीत और भविष्य

आदिवासी जीवन और उसके मूल्यों को समझने के लिए मानव विज्ञान से जुड़ा अतीत और भविष्य जानना आवश्यक है। इससे जुड़े मुख्य कारकों पर प्रकाश डाला जाएगा। इस विषय पर प्रो. टी. कट्टीमनी, प्रो. एस एम पटनायक, प्रो. सत्यनारायण मुंडा, प्रो. विजय एस सहाय, प्रो. एम.सी. बेहरा, प्रो. पुष्पा मोतियानी, प्रो. सुमहन बंदोपाध्याय, डॉ. नरेश चन्द्र साहू, डाॅ. पिनाक तरफदार, डॉ. डैली नेली अपनी बात रखेंगे। सेमिनार में आदिवासी जीवन, रहन-सहन, परम्पराओं एवं सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्थाओं पर आधारित साहित्य के विषय पर भी चर्चा की जाएगी। जनजातीय समूह के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास के सकारात्मक परिणामों पर भी विचार-विमर्श किया जायेगा।