चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के शासनकाल 2002 में 65 एचसीएस अधिकारियों की नियुक्तियों के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट 17 जुलाई को सुनवाई करेगा। इस मामले में पहले एक अर्जी दायर कर इस केस की जल्दी सुनवाई का आग्रह किया गया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। यह मामला लगभग 22 साल से हाई कोर्ट में विचाराधीन है।

साल 2019 में चीफ जस्टिस कृष्णा मुरारी एवं जस्टिस अमित रावल की खंडपीठ ने हैरानी जताई थी कि हाई कोर्ट में यह केस इतने साल से विचाराधीन है। वर्ष 2002 में जब एचसीएस के लिए नियुक्ति की गई थी, तब इन नियुक्तियों को कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। आरोप लगाए गए थे कि तत्कालीन चौटाला सरकार ने नियमों का उल्लंघन कर अपने चहेतों को नियुक्ति दी, जिनके परीक्षा में कम अंक थे।

जांच में भी हुई थी धांधली

इस मामले में की गई जांच में भी धांधली सामने आई थी। वर्ष 2013 में हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस ने याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। लेकिन इसी बीच वह सुप्रीम कोर्ट चले गए और केस फिर सुनवाई पर आ गया। तब से लेकर अब तक हाई कोर्ट की विभिन्न खंडपीठों में इस केस की सुनवाई चल रही है।

विजिलेंस ने हाई कोर्ट को क्या बताया

इस मामले में विजिलेंस ने हाई कोर्ट में एक अर्जी दायर कर कहा हुआ है कि जांच को आगे बढ़ाने के लिए ओरिजनल उत्तर पुस्तिकाओं की जरूरत है। उत्तर पुस्तिकाओं में कांट-छांट, जोड़ना-घटाना, स्याही आदि की जांच फोरेंसिक लैब में होगी तो जांच को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकेगा। विवाद के हाई कोर्ट में आने के बाद उत्तर पुस्तिकाओं की ओरिजिनल कॉपी हाई कोर्ट में मंगवा ली थी।

2009 में विजिलेंस के अनुरोध पर इनकी फोटोकॉपी विजिलेंस को उपलब्ध करवाई गई थी।अब विजिलेंस ने चयनित 65 में से 35 एचसीएस अधिकारियों की 54 उत्तर पुस्तिकाओं की ओरिजिनल कापी मांगी हुई है । यह 35 एचसीएस वह हैं, जिनकी कॉपी में संदेह है। अर्जी में विजिलेंस ने हाई कोर्ट को विश्वास दिलाया कि लैब में इनकी जांच के बाद इसे हाई कोर्ट को वापस कर कर दिया जाएगा।