चंडीगढ़ । निदा फाजली का एक शेर है ‘दुश्मनी लाख सही खत्म न कीजे रिश्ता, दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते  रहिए।’ यह शेर एक उम्र के बाद भी पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के साथ हाल ही में जफ्फी डालकर गर्मजोशी से गले मिलने पर सटीक बैठता है। पंजाब के लोगों ने हाल ही में जब यह करिश्मा देखा तो हर कोई भौचक्का रह गया। दोनों नेताओं में जितनी कड़वाहट थी, खासकर सिद्धू द्वारा मजीठिया पर की गई टिप्पणियों से जो खटास पैदा हुई थी, उसके बाद किसी को उम्मीद नहीं थी कि इनके रिश्ते कभी सुधर भी सकते हैं। अकाली दल की ओर से तो कोई प्रतिक्रिया नहीं आई मगर कांग्रेस के कई सीनियर नेताओं ने सिद्धू को निशाने पर ले लिया है। कांग्रेस में मंत्री व प्रधान रहते सिद्धू ने मजीठिया पर निजी हमले करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। दोनों में राजनीतिक रंजिश यहां तक पहुंच गई थी कि मजीठिया ने अपना मजीठा हलका छोड़ सिद्धू के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा था। 
यह पहला मौका नहीं, जब सिद्धू की जफ्फी से बवाल हुआ हो। पाक के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण में वहां के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के साथ मंच पर उनकी जफ्फी के वीडियो ने भी काफी विवाद खड़ा किया था। विपक्षी दलों के अलावा कांग्रेस के भी कई नेताओं ने तब उन पर निशाना साधा था। अब इन दोनों नेताओं की जादू की जफ्फी पर पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद रवनीत बिट्टू ने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बिट्टू ने कहा कि सिद्धू की इस जफ्फी से कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं की भावनाएं आहत हुई हैं, मजीठिया के चक्कर में ही सिद्धू ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मार दी। बिट्टू यहां तक कह गए, कांग्रेस में आते ही पहले उन्हें स्थानीय निकाय मंत्री और फिर प्रदेश प्रधान बनाया गया। उनके कहने पर एजी हटाया, डीजीपी हटाया, मगर नतीजा क्या निकला। मजीठिया के खिलाफ बयानबाजी कर-कर के गांव-गांव में कांग्रेस वर्करों को अकालियों के खिलाफ फंसाया लेकिन अब उसी मजीठिया के साथ गले मिलकर उन्होंने अपने समर्थकों और पंजाब के लोगों का विश्वास तोड़ दिया।