बेंगलुरु । कांग्रेस के व‎रिष्ठ नेता सिद्धारमैया कर्नाटक में नए मुख्यमंत्री होंगे। नई ‎दिल्ली ‎स्थित 10 जनपथ से सिद्धारमैया के नाम पर कांग्रेस हाईकमान द्वारा मुहर लगा दी गई है। वहीं सो‎निया गांधी ने डी के शिवकुमार को वफादारी का ईनाम देने का भी आश्वासन ‎‎दिया है। ले‎किन डी के ‎शिवकुमार को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। हालांकि सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि डीके शिवकुमार भी कर्नाटक सरकार में शामिल हो सकते हैं। 18 मई को कांटी राव स्टेडियम में दोपहर को साढ़े तीन बजे शपथ ग्रहण का कार्यक्रम रखा गया है। इधर सिद्धारमैया के बाद डीके शिवकुमार भी 10 जनपथ पहुंचे और उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मुलाकात की। गौरतलब है कि 13 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के चार दिन बाद सीएम के नाम को लेकर स्थिति स्पष्ट हुई है। वहीं कर्नाटक में सिद्धारमैया के समर्थक खुशी से झूम उठे हैं, उन्होंने जश्न मनाना शुरु कर ‎दिया है। वहां पर सिद्धारमैया के पोस्टरों को दूध से नहलाया जा रहा है।

बलिदान और वफादारी बेकार नहीं जाएगी : सोनिया गांधी
कर्नाटक में सिद्धारमैया को सीएम बनाए जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को भी महत्वेपूर्ण प्रभार दिए जाने की संभावना है। हालांकि उन्हें ‘बलिदान’ और ‘वफादारी’ का ईनाम भी दिए जाने की प्रबल संभावनाएं हैं। कांग्रेस पार्टी की पूर्व राष्ट्री य अध्याक्ष सोनिया गांधी की तरफ से उन्हेंर इसका आश्वाासन दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सूत्रों के हवाले से कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की रेस के बीच में सोनिया गांधी की ओर से डीके शिवकुमार को आश्वाणसन दिया गया कि उनके साथ न्याय किया जाएगा। उनका बलिदान और वफादारी बेकार नहीं जाएगी। दरअसल, बुधवार को डीके शिवकुमार भी पार्टी के आला पदाधिकारियों से मिलने के लिए 10 जनपथ पहुंचे हुए हैं। यहां उनकी मुलाकात सोनिया गांधी और राहुल गांधी से हुई है।

दोनों नेताओं से की थी बातचीत
इससे पहले कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री चुनने के लिए कांग्रेस में मंगलवार को भी गहन मंथन जारी रहा और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पहले राहुल गांधी के साथ चर्चा की थी। इसके बाद प्रबल दावेदार माने जा रहे दोनों नेताओं सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार से मुलाकात की थी। खड़गे ने सोमवार को भी पार्टी के तीनों पर्यवेक्षकों और वरिष्ठ नेताओं के साथ विस्तृत चर्चा की थी। पर्यवेक्षकों ने नवनिर्वाचित विधायकों की राय के आधार पर उन्हें अपनी रिपोर्ट भी सौंपी थी।