भोपाल । हमीदिया अस्पताल में ऐसे कई मामले रोजोना होते रहते हैं। ऐसे कई सीन आये दिन हर घण्टे, सुबह से शाम तक देखने को मिलते है जिससे नजर आता है कि आयुष्मान कार्ड के जरिये, जरूरत मंद गरीब मरीजों का 5 लाख रुपये तक का मुफ्त में इलाज का दावा करने  वाली योजना गरीबों की बेबसी का मजाक उड़ाती नजर आती है।  दरअसल  2011 में हुई जनगणना के अनुसार गरीबों की सूची पोर्टल पर डाली गई इसके अलावा पोर्टल पर नामों की गड़बड़ी के कारण सूची में शामिल होने के बाद  कई लोग कार्ड नहीं बनवा पा रहे हैं। ऐसे गरीबों के दस्तावेजों में कुछ और नाम हैं जबकि पोर्टल पर उनके नाम या पते कुछ और हैं। इस कारण गरीब होने के बावजूद आयुष्मान कार्ड नहीं बन पा रहे हैं।    
दरअसल या तो पोर्टल पर गड़बड़ी के चलते योजना का लाभ लेने वाले गरीबों के आयुष्मान कार्ड नहीं बन रहे हैं या फिर यह लोग 2011 के बाद गरीबों की सूची में शामिल हुए हैं और पोर्टल पर जो सूची डाली गई है वह  2011 में हुई जनगणना के आधार पर है। दरअसल अब  प्रशासन को ऐसे गरीबों के आवेदन लेकर उसका सत्यापन कर उसका नाम योजना पोर्टल में जुड़वाना चाहिए, जिस तरह  चुनाव की मतदाता सूचियों में संशोधन कर  नए नाम जोड़े जा सकते हैं उसी तरह आयुष्मान योजना के हितग्राहियों का नाम जुडऩा चाहिए।
जनगणना करने वालो ने दी गलत जानकारी
एमपी ऑन लाइन केंद्रों से लगाकर, आयुषमान कार्ड  बनाने  वाले सेंटर पर हर रोज भटकते मिल जाएंगे। जन सुनवाई से लेकर सीएम हेल्प लाइन सम्बन्धित विभाग के पास भी हजारो गरीबो की इस समस्या का कोई  भी समाधान  नही है। इस मामले में आयुषमान कार्ड योजना से सम्बन्धित  जिले के मुख्य अधिकारी डाक्टर सन्तोष सिंह सिसोदिया का कहना है आयुषमान कार्ड योजना का आधार साल 2011 में हुई जनगणना के दौरान मिली जानकारी को बनाया गया है। उन्होंने जो जानकारी दी उस हिसाब से तय किया गया कि  कौन गरीब है कौन नही ।