झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एक बार फिर चर्चा में है। पहले गबन को लेकर चर्चा थी। दस लाख रुपये गबन का मामला प्रकाश में आया था। आरोपित व्यक्ति ने पांच साल बाद उसे जमा किया। इसके बाद अब एक और मामला आ गया है।

इस बार प्रभार में रह रहे बोर्ड के प्रभारी राखाला चंद्र बेसरा पर वेतन नहीं देने व कर्मचारियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। कर्मचारियों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर गुहार लगाई है। ज्ञापन में लिखा गया है कि राज्य सरकार के स्पष्ट आदेश के बावजूद नवंबर का ससमय वेतन भुगतान नहीं किया गया।

मनमाने ढंग से कर रहे हर कार्य का संपादन

विगत कुछ माह से वर्तमान प्रभारी मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी खादी बोर्ड को अपनी जागीर समझते हुए मनमाने ढंग से हर कार्य का संपादन कर रहे हैं। ज्ञापन में बताया गया कि प्रभारी मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी पूर्व में झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड में उपमुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित थे।

वर्ष 2020 में कोरोना काल में जब लाकडाउन था तब बोर्ड के कर्मचारियों के वेतन भुगतान को लेकर उद्योग विभाग से अनुरोध किया गया था। उद्योग विभाग के आदेश द्वारा तत्कालीन उप मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को अपने कार्यों के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के कार्य संपादन का आदेश दिया गया था।

विगत तीन वर्षों में राज्य सरकार द्वारा किसी भी पदाधिकारी का मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में पदस्थापन नहीं किया गया है। प्रभारी मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा मनमाने ढंग से सारे कार्यों का संपादन किया जा रहा है। सीमित शक्ति के बावजूद बोर्ड द्वारा मनमाने ढंग से नियुक्ति की जा रही है।

विभूति राय, रवि बहादुर सहित आधा दर्जन कर्मचारियों ने कहा है कि मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा प्रत्येक दिन प्रताड़ित किया जाता है। कर्मचारियों ने यहां से इनको हटाने की गुहार भी लगाई है। ज्ञापन को मुख्यमंत्री सचिवालय, मुख्य सचिव, उद्योग विभाग को भी प्रेषित किया गया है।

सारे आरोप बेबुनियाद है। बोर्ड में कुछ कर्मचारियों का वेतन रुका हुआ है। वह प्रक्रियाधीन है। विभाग के आदेश का अनुपालन नहीं करने वाले दो कर्मियों का वेतन रुका है। ज्ञापन में भी कई फर्जी सिगनेचर है।

अंकेक्षण पदाधिकारी की नियुक्ति पर उठ रहा सवाल

झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड में लेखा-अंकेक्षण पदाधिकारी की नियुक्ति पर भी सवाल उठ रहा है। इस साल 17 जून से हिमांशु कुमार योगदान दे रहे हैं। इनकी नियुक्ति एक साल के लिए हुई है और हर तीन महीने में इनके काम की समीक्षा होगी।

इस पर सवाल उठ रहा है कि इनकी नियुक्ति में नियमों का अनुपालन नहीं किया गया है। साक्षात्कार के लिए यही एकमात्र अभ्यर्थी थे और इनकी नियुक्ति कर दी गई। जबकि कम से कम तीन लोगों को होना चाहिए। प्रभारी सीईओ ने कहा कि बोर्ड को लेखा पदाधिकारी की जरूरत थी। काम प्रभावित हो रहा था।