दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र में संवेदनहीनता लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है।आलम यह है कि दुर्घटना होने पर घायल सड़क पर तड़पते रहते हैं और लोग वीडियो बनाते रहते हैं। यहां तक कि एंबुलेंस और पुलिस को भी फोन नही करते, इसके लिए भी पास में खड़े दूसरे व्यक्ति से कहते हैं। जबकि घायल को समय पर अस्पताल पहुंचाना बहुत जरूरी है। भारत सरकार के ला कमीशन के अनुसार गंभीर रूप से घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाने से 50 प्रतिशत मौत को कम किया जा सकता है।

बता दें कि ऐसी घटनाएं आए दिन सामने आ रही हैं जब घायल की काफी देर तक किसी ने मदद नहीं की और वह सड़क पर तड़पता रहा। यहां बता रहे हैं कुछ लोगों की कहानी,जो शहर के संवेदनहीन होने की ओर इशारा करती हैं।सड़क हादसों में होने वाली मौत के लिए अव्यवस्था और सिविक एजेंसियों की लापरवाही के साथ ही लोगों में बढ़ती संवेदनहीनता भी काफी जिम्मेदार है। आठ सितंबर 2020 की रात हुए एक हादसे में यदि टक्कर मारने वाले व्यक्ति ने जरा भी संवेदनशीलता दिखाई होती तो एक युवक की जान बच सकती थी। दरअसल उस रात आली गांव निवासी संजेश अवस्थी फरीदाबाद से ड्यूटी करके साइकिल से अपने घर लौट रहे थे। तभी मथुरा रोड पर एक तेज रफ्तार रेंज रोवर कार सवार ने संजेश को जोरदार टक्कर मार दी।

कार चला रहे ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 निवासी सोनित ने संजेश को अपनी गाड़ी में डाला और मूलचंद अस्पताल के गेट पर छोड़कर भाग गया। इसे लेकर अस्पताल के डाक्टरों ने जांच की तो पता चला कि संजेश की मौत हो चुकी थी। मूलरूप से यूपी के हरदोई जिला निवासी संजेश आली विहार में परिवार के साथ 15 साल से रह रहे थे। संजेश की पत्नी प्रभा अवस्थी ने बताया कि हादसे के दो साल बाद भी अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली है।