जयपुर | राजस्थान की गहलोत सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान में 9 सितंबर 2022 को आदेश जारी कर फ्री होल्ड पट्टों पर डिप्टी कमिश्नर रैंक के अफसर के सिंगल साइन से पट्टे जारी करने के आदेश दिए थे। जिसे आधार बनाकर बीकानेर नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर गोपालराम विरदा ने 16 नवंबर 2022 को आदेश जारी कर नगर निगम सचिव हंसा मीणा ऑथोराइज कर एकल हस्ताक्षर से पट्टे जारी करने के निर्देश दिए थे।जिसे अधिकारियों की मनमानी बताते हुए बीकानेर नगर निगम मेयर सुशीला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दोनों आदेशों को चुनौती दी थी। याचिका पर हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है।

हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण भंसाली की बेंच ने सुनवाई कर राज्य सरकार, नगर निगम बीकानेर और बीकानेर मेयर सभी पक्षों को सुना। कोर्ट ने आदेश में राज्य सरकार और बीकानेर नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि बोर्ड की शक्तियों को अधिकारी बदल नहीं सकते हैं।प्रदेश के कई नगर निगम,नगर पालिकाओं, परिषदों ने राज्य सरकार को शिकायतें भी की थीं, कि अधिशासी अधिकारी या डिप्टी कमिश्नर, सचिव सिंगल साइन कर पट्टे जारी कर रहे हैं।इससे मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष और नगर परिषद सभापति की शक्तियां कमजोर हो रही हैं।

यह उनके अधिकार क्षेत्र में एक तरह से अतिक्रमण है।बीकानेर की मेयर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा- 'मुझे पूरा भरोसा था कोर्ट जरूर इंसाफ करेगा। राज्य सरकार जो गलत परंपरा डाली, उस पर रोक लग गई है। एकल हस्ताक्षर से पट्टे देकर अधिकारी बोर्ड की शक्तियों को कमजोर कर रहे थे। बीकानेर में निगम कमिश्नर जो आईएएस होता है और निर्वाचित मेयर की शक्तियां एक राजस्व अधिकारी को ही दे दी गई थी। जो ना केवल लीज से फ्री होल्ड पट्टे बना रही थी, बल्कि 69-ए के भी पट्टे बना रही थी।'