नहीं निकला कोई समाधान, मरीज हो रहे परेशान


 भोपाल । अपनी मांगों को लेकर नर्सिंग अधिकारियों की हडताल जारी है। हडताल पर बैठे नर्सिंग अधिकारी व स्वास्थ्यकर्मियों की मांगों को लेकर अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। इधर हडताल के कारण प्रदेश भर के अस्पतालों में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड रहा है। कई परेशानियों से जूझ रहे मरीज का दर्द इन हड़ताली अधिकारियों व कर्मचारियों को महसूस नहीं हुआ, न इनकी मांगों को सुनकर हल निकालने वाले अधिकारियों पर कोई असर पड़ा। ये नर्सिंग अधिकारी व कर्मचारी ग्रेड-पे में सुधार समेत अन्य लंबित मांगों को पूरा करने की मांग को लेकर अड़े हैं। हकीकत यह कि जेपी में मरीजों को इंजेक्शन तक ठीक से नहीं लग रहे। नर्सिंग स्टाफ के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से जिला अस्पताल में मरीजों के साथ ही संविदा और एएनएम की भी परेशानियां बढ़ गई हैं। नर्सिंग कर्मचारियों की कमी से मरीजों को रेफर और डिस्चार्ज के पेपर बनवाने में देरी हो रही है। वार्ड में भर्ती मरीजों की देखरेख के लिए मुश्किल से कर्मचारी पहुंच रहे हैं। ट्रामा सेंटर में जिन नर्सिंग कर्मचारियों की ड्यूटी रहती थी, लेकिन अब संविदा और एएनएम के एक-एक कर्मचारी काम कर रहे हैं। नर्सिंग अधिकारियों के हड़ताल पर जाने से जिला अस्पताल में संविदाकर्मियों पर काम का दबाव बढ़ गया है। ट्रामा सेंटर में काम कर रही एक कर्मचारी ने बताया कि ट्रामा सेंटर में करीब 80-100 मरीज भर्ती है। नर्सिंग स्टाफ की कमी से तीन शिफ्टों में एक-एक कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिसमें सुबह की शिफ्ट में उनके अलावा एक एएनएम कार्य कर रही है। मरीजों को समय पर सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं। इधर जेपी अस्पताल के अधीक्षक आरके डा. आरके श्रीवास्तव का वही पुराना दावा है कि नर्सिंग कालेजों से छात्राओं की मदद ली जा रही है। बाहर से भी कर्मचारी बुलवा लिए हैं। इसके अतिरिक्त 108 और संविदा कर्मचारियों की सेवाएं ले रहे हैं। सबकुछ ठीक चल रहा है। नर्सिंग अधिकारियों की मांगों में  अन्य प्रदेशों की तरह नर्सिंग आफिसर्स को ग्रेड-2 दिया जाए,  नर्सिंग छात्रों का स्टायपेंड 3000 से 8000 रुपये किया जाए,  चिकित्सकों की तरह नर्सिंग अधिकारियों को भी रात्रिकालीन भत्ता दिया जाए,  नर्सिंग अधिकारी को तीन व चार वेतनवृद्धि का लाभ मिले, स्वशासी नर्सिंग आफिसर को 7वां वेतनमान 2016 से दें, आदि मांगे शामिल है।