लखनऊ, गम्भीर और विचारोत्तेजक आलोचनात्मक लेखन के लिए मशहूर हिंदी साहित्य के वरिष्ठ लेखक मैनेजर पांडेय का निधन हो गया है। 82 वर्षीय मैनेजर पांडेय के निधन से हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर है। तमाम लेखक, पत्रकार और प्रकाशन संस्थानों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। राजकमल प्रकाशन समूह के संपादक सत्यानंद निरुपम, प्रसिद्ध लेखक ऋषिकेश सुलभ और कहानीकार सिनीवाली शर्मा सहित अनेक लेखकों और साहित्यकारों ने मैनेजर पांडेय के निधन पर शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। मैनेजर पाण्डेय का जन्म 23 सितंबर, 1941 को बिहार के गोपालगंज जिले के लोहटी में हुआ था। वे हिंदी में मार्क्सवादी आलोचना के प्रमुख हस्‍ताक्षरों में से एक रहे हैं। गंभीर और विचारोत्तेजक आलोचनात्मक लेखन के लिए उनकी अलग ही पहचना थी। मैनेजर पांडेय की उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई। हिंदू यूनिवर्सिटी से उन्होंने एमए और पीएचडी की उपाधियां प्राप्त कीं। उन्होंने बरेली कॉलेज, बरेली और जोधपुर विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। इसके बाद मैनेजर पाण्डेय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर और जेएनयू में भारतीय भाषा केंद्र के अध्यक्ष भी रहे। आलोचक मैनेजर पाण्डेय लोक जीवन से गहरे संपृक्त व्यक्ति थे। वे तुलसीदास से अधिक प्रेरित व प्रभावित थे। तुलसीदास के संग्रह-त्याग न बिनु पहिचाने से वे अपना आलोचनात्मक विवेक निर्मित करते हैं। हालांकि भक्ति आंदोलन और सूरदास का काव्य उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तक है।