यह पार्टियां परिवारिक प्राइवेट कम्पनियां है जो पैसे लेकर अपराधियों, दूसरी पार्टियों के अवसरवादी एवं परिवार के सदस्यों को टिकट देती है व अवसरवादी, परिवार वादी एवं अपराधिक तत्वों को संरक्षण देती हैं।इन्होंने जातिवाद, अवसरवादिता एवं धर्म के आधार पर बांटकर वोट वटोरकर व पार्टी व्हिप एवं अनुशासन के नाम पर प्रजातंत्र का गला घोंटा है।हमारे नेता हर अच्छी चीज में बाधक क्यों, इन्हें अपराध मुक्त  एवं समृद्ध भारत से इतना डर क्यों?

हमारा प्रतिनिधि हमारी बात पार्लियामेंट या उसके बाहर भी रखने में पूर्णतया असमर्थ है अंदर वह पार्टी व्हिप और बाहर पार्टी अनुशासन से बंधा है । वह परिस्थितियोंबस उनसे बाहर नही निकल पाता है।हमें पार्टी विहीन प्रजातंत्र, अपराधी विहीन राजनीति, खर्च विहीन चुनाव व्यवस्था, जहर मुक्त कृषि, कर विहीन अर्थ व्यवस्था, अपराध मुक्त समृद्धि स्थापित करना होगी।

हे पार्थ, गांडीव उठाओ, यह धर्मयुद्ध है इसे लड़ना ही होगा अन्यथा हमें धनुर्धारी के बजाय कायर के रूप मे याद किया जाएगा।

 

जय हिन्द, जय भारत, वंदे मातरम्:  
मैथिली शरण गुप्त, IPS (Rtd)
राष्ट्रीय अध्यक्ष, अपराध मुक्त भारत मिशन
एवं पूर्व महानिदेशक पुलिस सुधार, मध्य प्रदेश