यूक्रेन क्राइसिस के कारण इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का भाव लगातार बढ़ रहा है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है। ऐसे में महंगा कच्चा तेल भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ाकर ट्रेड डेफिसिट को ज्यादा कर सकता है। वर्तमान हालात से निपटने के लिए सरकार ने नेशनल ऑयल स्टॉक से ज्यादा तेल निकालने का फैसला किया है। नवंबर में सरकार ने ऑयल रिजर्व से 5 मिलियन बैरल तेल निकालने का फैसला किया था। इसमें से अब तक 3।5 मिलियन बैरल तेल निकाला जा चुका है।

सरकार की नजर यूक्रेन पर रूसी हमले पर है। इस घटना से तेल की कीमत में हो रहे बदलाव की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका दुनिया के अन्य देशों के साथ मिलकर कच्चे तेल की कीमत में उछाल पर नजर बनाए हुआ है। बढ़ते दाम के बीच ग्लोबल स्ट्रैटिजीक क्रूड रिजर्व से एडिशनल तेल निकालने पर विचार किया जा रहा है। जापान और ऑस्ट्रेलिया भी अपने ऑयल रिजर्व को इस्तेमाल करने पर सहमति जताई है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी यानी IEA के सदस्यों ने कहा कि यूक्रेन संकट के कारण अगर कच्चे तेल का भाव बढ़ता है तो वे ऑयल रिजर्व का इस्तेमाल करेंगे। रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक और तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। रूस से हर रोज 50 लाख बैरल कच्चा तेल निर्यात होता है। यूरोप की 48 और एशियाई देशों की 42 फीसद निर्भरता रूस पर ही है। इसलिए रूस से आयात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। फिलहाल तो दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक सऊदी भी रूस के साथ खड़ा दिख रहा।