इंदौर ।   इंदौर के पूर्व पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर पुलिस कमिश्नर प्रणाली से लेकर कई मुद्दों पर रखी बेबाक राय ।

1. दिल्ली में पदभार के बाद बीएसएफ में आप किन कामों को प्राथमिकता पर रखेंगे

बीएसएफ मेरे लिए एक नया क्षेत्र है। पहले मैं खुद को बीएसएफ को समझने के लिए समय दूंगा। इसके बाद प्राथमिकताएं तय करूंगा। हां इतना जरूर कहना चाहता हूं कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा और अपने अनुभवों से व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा। 

2. इंदौर में आपको सबसे अच्छा क्या लगा

मुझे इंदौर के लोग सबसे अच्छे लगे। मैंने किसी शहर के नागरिकों में अपने शहर के लिए इतना प्रेम नहीं देखा। यहां के लोग अपने शहर को बेहतर बनाने के लिए हमेशा कुछ न कुछ नया करते रहते हैं। स्वच्छता के साथ इंदौर अब सौर ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण, बेहतर ट्रैफिक हर विषय पर काम कर रहा है और सभी में नागरिकों की भूमिका देखने लायक है। 

3. इंदौर को अपराध मुक्त करने की आपकी कौन सी योजनाएं बाकि रह गईं, जिन पर काम होना चाहिए

किसी शहर को अपराध मुक्त करना या अपराधों पर लगाम लगाना एक सतत प्रक्रिया है। सायबर क्राइम, नशा और ट्रैफिक और अन्य सभी विषयों पर लगातार काम करते रहने की जरूरत है। हम यह नहीं कह सकते कि बस यहां पर आकर सब ठीक हो जाएगा। पुलिस के क्षेत्र में योजनाएं बनाने के साथ लगातार उन पर काम करना आवश्यक है। 

4. इंदौर पुलिस विभाग के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे

इंदौर का पुलिस विभाग बहुत ही शानदार है। मैं सभी से इतना कहना चाहूंगा कि हमेशा शांत दिमाग से काम करें और लोगों के साथ न्याय करें। आप एक बहुत जिम्मेदार पद पर हैं और जनता को आपसे बहुत आस है। 

5. इंदौर में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं, आपकी नजर में यह कितनी बेहतर है

पुलिस कमिश्नर प्रणाली पर अभी सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि यह डवलपिंग मोड में है। जब कोई व्यवस्था शुरू होती है तो उसमें कई बदलाव होते हैं। हमें इसे थोड़ा समय देना होगा। मेरा यह स्पष्ट मानना है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली बेहतर है और यह अपराधों की रोकथाम में बेहतर परिणाम देगी। यह व्यवस्था कितनी बेहतर साबित होगी इसे भी पुलिस अधिकारी जज नहीं कर सकते, यह तो जनता जज करेगी। पुलिस कमिश्नर प्रणाली के बाद सुपर विजन बढ़ा है। इस पर कोर्ट का भी सुपरविजन होते रहना चाहिए। अब सीनियर अधिकारी पुलिसिंग पर नए तरीके से ध्यान दे रहे हैं। हेड कांस्टेबल लेवल पर जो काम छूट जाते थे उन्हें अब सीनियर अधिकारी देख रहे हैं। निश्चित ही इससे भविष्य में सकारात्मक परिणाम आएंगे।