Kalawa Rules: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ या फिर मांगलिक कार्य में कलावा का प्रयोग जरूर किया जाता है. कलावा बांधने का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है. कलावा को देवी-देवताओं को अर्पित करने के साथ ही हाथ में भी रक्षासूत्र के रूप में बांधा जाता है. माना जाता है कि रक्षासूत्र को हाथ में बांधने से बुरी बलाओं से बचाओ होता है. साथ ही कलावा बांधने वालों पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है. हालांकि इसका लाभ आपको तभी मिलेगा, जब इसको बांधने के सही नियम फॉलो करेंगे. बता दें कि, शास्त्रों में कलावा धारण करने और उतारने के कई नियम बताए गए हैं. इन नियमों का ध्यान रखा जाए तो व्यक्ति कई समस्याओं से बच सकता है. आइए कासगंज की तीर्थ नगरी सोरों के ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव कुमार दीक्षित से जानते हैं क्यों बांधा जाता है कलावा? कलावा बांधने और उतारने के नियम और धार्मिक महत्व?

क्यों पहना जाता है मौली या कलावा

डॉ. गौरव दीक्षित बताते हैं कि कलावा बांधने से त्रिदेवों के साथ तीनों देवियों मां लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जो भी कार्य करने जा रहे हैं, वह बिना किसी बाधा के पूर्ण होता है. मौली व कलावा को रक्षा सूत्र भी कहते हैं, जो हमारे बुरे समय में रक्षा करता है, इससे घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है. मौली व कलावा बांधने से व्यक्ति का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. हमारे शरीर की संरचना का प्रमुख नियत्रंण कलाई में होता है, इसलिए मौली धागा एक तरह से एक्यूप्रेशर की तरह काम करता है, जो हृदय रोग, मधुमेह व लकवा जैसे रोगों से सुरक्षा करता है.

कलावा बांधने का ​मंत्र

डॉ. गौरव दीक्षित के मुताबिक, कलावा को हमेशा किसी योग्य कर्मकांडी ब्राह्मण या अपने से बड़े व्यक्ति से बंधवाना चाहिए. ऐसा करने से आपके साथ होनी वाली अनहोनी से बचा जा सकता है. पुरुष को कलावा हमेशा अपने दाएं हाथ में और स्त्री को अपने बाएं हाथ में बंधवाना चाहिए. हालांकि, कलावा बांधने वाले को हाथ पर बांधते समय ”येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।” मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए.