भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के अंदर वेद, पुराण और सभी ग्रंथों में हर छोटे से बड़े व्रत का काफी महत्व बताया गया है. हिंदू धर्म के अंदर साल भर में ऐसे कई विशेष व्रत आते हैं जिन्हें लोग बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ रखते हैं. हिंदू धर्म के उन्हीं खास और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है सफला एकादशी का व्रत, जिसे सबसे पहले एक राज्य के राजा के बेटे ने घर से निष्कासित होने पर मजबूरी में जंगल के अंदर पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भूखा प्यासा रहकर सिर्फ फलों से किया था और फिर तो भगवान की कुछ ऐसी कृपा हुई कि राज्य से निष्कासित राजा के बेटे की राज्य की कामना ही इस व्रत से पूरी हो गई और वह राज्य का राजा बन गया. तभी से यह व्रत संपूर्ण भारतवर्ष में सफलता और फल की इच्छा से किया जाता है. जो नए साल 2024 में इस बार 7 जनवरी को पड़ रहा हैं. तो आईए जानते हैं इस व्रत की कहानी और महत्व

पंडित रमेश चंद्र शास्त्री बताते हैं कि इस व्रत के पीछे एक पौराणिक कथा और इसके महत्व में लिखा है कि एक चंपावती नाम की नगरी के राजा हुआ करते थे महिष्मान और उनके चार पुत्रों में से एक पुत्र का नाम लुम्पक था. एक दिन ऐसा आया कि दुष्ट प्रवृत्ति होने का होने के राजा ने अपने बेटे लुम्पक को घर से निकाल दिया. राज्य से निष्कासित होने के बाद लुम्पक चोरी और दुष्ट कर्म कर अपना जीवन चलाता था. एक दिन लुम्पक का शरीर सिपाहियों की पिटाई के कारण असमर्थ हो गया. जिसके बाद लुम्पक एकादशी वाले दिन जंगल में जाकर पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गया.

पेड़ के नीचे बैठकर भगवान को लगाया भोग
शरीर में शक्ति न होने के कारण उस दिन ना तो लुम्पक आखेत कर सका और ना ही पेड़ों से फल तोड़ सका. उस एकादशी वाले दिन लुम्पक ने जमीन से टूटे हुए फल उठाकर ही पीपल के पेड़ के नीचे बैठ भगवान को भोग लगा दिया और मजबूरी में एकादशी का व्रत कर लिया. जैसे ही राज्य से निष्कासित लुम्पक का एकादशी का व्रत पूरा हुआ वैसे ही भगवान के गण विमान पर बैठकर लुम्पक के पास आए बोले कि तुम्हारा व्रत पूरा हो गया है और अब तुम निष्पाप हो गए हो, तुम्हारी राज्य की कामना का फल भी पूरा हो गया है. भगवान के गुणों की इस बात को सुनते ही लुम्पक अपने राज्य लौट गया और राजा बन गया.

साल 2024 का प्रथम व्रत सफला एकादशी

पंडित रमेश शास्त्री का कहना है कि अगर किसी मनुष्य की राज्य की कामना भी हो तो वह भी सफला एकादशी का व्रत कर सकता है. इस व्रत को करने से निश्चित ही उसको फल प्राप्त होगा. शास्त्री का कहना है कि साल 2024 में सफला एकादशी का व्रत बहुत ही श्रेष्ठ और साल का प्रथम व्रत है. फल की कामना रखने वाले फलाकांक्षी लोगों को तो इस व्रत को जरूर करना चाहिए.