सुचिता (सकुनिया) खंडेलवाल बैतूल/कलकत्ता     

पिता  (fathers day)
हर रिश्ता अपने साथ अपनी एक अलग पहचान और महत्व लेके आता है। फिर भी हमारे जीवन का सबसे खास  और अनमोल रिश्ता हमारा अपने माता-पिता से होता है क्योंकि उनसे ही हमारा अस्तित्व है। 
माँ के साथ तो हमारा सफर इस दुनिया में आने से पहले ही शुरू हो जाता है  पर पिता से रूबरू हम इस दुनिया में आने के बाद ही  होते हैं यद्यपि एक पिता का सफर भी हमारे इस दुनिया में आने के खबर सुनकर ही शुरू हो जाता है। किसी भी बच्चे के जीवन में पिता की भी उतनी ही अहमियत होती है जितनी माँ की होती है| पिता ना सिर्फ हमारे जीवन दाता होते हैं बल्कि हमारी परछाई बन हमें जीना से लड़ना भी सिखाते है| वे हमे अलग अलग परिस्थितियों से निपटने के लिए सक्षम बनाते है ताकि जब जिंदगी परीक्षा ले तो हमारे कदम लड़खड़ाने ना लगे। पिता वो वटवृक्ष है जिसकी छाया में रहता पूरा परिवार है, पिता का साथ होना ही काफी है जिंदगी के लिए। ।

पितृ दिवस यानिकि फादर्स डे हर जून महीने के तीसरे संडे यानिकि रविवार को पड़ता है| इस बार यह दिवस 18 जून को है| 

यूँ तो माता-पिता के कर्ज का भार हम शब्दों से नहीं उतार पाएगें पर फिर भी एक पिता  का क्या महत्व होता है यही भावना को मेरी कलम ने शब्द में पिरोने की कोशिश की है। 

#      पिता #
जब माँ सींच रही थी अपनी 
कोख में नन्हें से बीज को,
तब माँ का ख्याल रखते रखते, 
उस बीज़ को पनपा रहे थे जो वो है पिता। ।

तेरी आने की खबर सुन कर 
खुशी से नाच उठी थी माँ, 
और  कोने में खड़े होकर जो बारम्बार उस रब को 
भीगी पलकों से धन्यवाद दे रहे थे जो वो है "पिता"। 

कोमल सी कली के माँ बनने के सफर 
के साथी रहते ना जाने कितने जन
 पर एक अल्हड़ युवा के पिता बनने के 
सफर  का साथी रहता बस उसका अंतर्मन। ।

अपने पैरों पर चलना सिखाती है माँ, 
और अपने पैरों पर खड़े होना सिखाते
 है जो वो हैं "पिता"।
मकान को अपने प्यार से घर बनाती है माँ, 
और उस घर की  एक-एक ईंट में शामिल जिनका  खून पसीना  होता वो है "पिता"। 

माँ के आँचल तले मिलती रहे 
ठंडक बाहर की तपिश से, 
इसलिए धूप में रोज जो जलते वो है " पिता"। 
हर इच्छा और ख्वाहिशों को पूरा करती है माँ, 
और उन ख्वाहिशों को पूरा करने में माँ के पीछे जो खड़े रहते  वो है"पिता"। 
आसमाँ में ऊँची उड़ान भरना सिखाती है माँ, 
और उस उड़ान को पंख देते है जो वो है "पिता "

घंटों बात कर के भी चुप्पी पढ़ लेती है माँ 
और चुप चाप अपने विचारों से जो मनोबल बढ़ा दे वो है" पिता "।
मुसीबत में हर वक़्त साथ देने वाले और
 ख़ुशियों  में दूर खड़े आशीष देने वाले,
वो है "पिता"। ।

ओ पिता तू तो वो गीत है, 
जिसे गुनगुनाता घर का हर एक शख्स है 
जो बस्ता हर एक दिल में है, 
बाहर से बस  जो थोड़ा  सा सख्त है
 Suchita 
Suchita ki उड़ान 
Su_writes13