अजमेर। अजमेर जिले के ग्राम पंचायत बबायचा के ग्राम हासियावास में सरकारी विद्यालय पर ग्रामीणों ने ताला लगाने के बाद जिला प्रशासन के समक्ष पहुंच कर कहा कि उन्हें क्रमोन्नति से ज्यादा स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति की दरकार है। उनके बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है। स्कूल खुलने पर बच्चों को तो पढ़ने भेज रहे हैं, पर पढ़ाने वाले ही नहीं आ रहे तो स्कूल खोलने का मतलब ही क्या है?

''बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ मत करो''

ग्रामीणों ने कहा, ‘'साहब बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ मत करो। बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल आ सकते है तो टीचर क्यों नही आते।'' ग्रामीणों ने ऐसे स्लोगन से लिखी तख्तियां जिलाधीश कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन के समय प्रदर्शित की।

कलेक्टर ने ग्रामीणों को दिलाया भरोसा

बाबा रामदेव समिति के पदाधिकारी राम लाल बजाड ने बताया कि कलेक्टर डॉ भारती दीक्षित को ज्ञापन सौंपने के बाद उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिया है कि सोमवार तक विद्यालय में टीचर लगा दिये जाएंगे, ताकि आगे इस प्रकार की परेशानी न हो। मालूम हो कि हासियावास का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जो कि 2020—2021 में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय से उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत हुआ, सन् 2021 से 2023 के मध्य मात्र चार शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। इनम से भी कई बार शिक्षक अन्य कामों की वजह से विद्यालय में नहीं पहुंच पाते, जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है।

350 छात्र-छात्राओं ने कराया नामांकन

विद्यालय में नामांकन 350 छात्र-छात्राओं का है और विद्यालय 12वीं तक है, फिर भी शिक्षा विभाग द्वारा इस विद्यालय की और ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में विद्यालय के छात्र-छात्रा टीसी लेकर अन्य विद्यालयों में जाने के लिये मजबूर हो रहें हैं।

ग्रामीणों ने विद्यालय के भवन निर्माण पर खर्च किए 10 लाख रुपये

ग्रामीणों ने चंदा एकत्रित कर विद्यालय के भवन निर्माण पर 10 लाख रुपये खर्च किए हैं, ताकि गांव की लड़कियां अपनी 12वीं तक की पढ़ाई गांव ही रह कर पूरी कर सकें, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने ही नारे 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' को निचले स्तर पर क्रियान्वित नहीं कर पा रहे हैं।

ग्रामीणों ने विद्यालय में लगाया ताला

शिक्षा विभाग की अनदेखी की वजह ग्रामीणों ने जुलाई 2023 में विद्यालय खुलने के साथ ही ताले लगा दिए और निर्णय किया कि जब तक छात्र-छात्राओं के अनुपात अनुसार, पूरे शिक्षक विद्यालय में नहीं लगाए जाते हैं, तब तक विद्यालय में बच्चों को नहीं भेजा जाएगा और जिला स्तर पर समस्या का समाधान नहीं होने पर शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री के घर के बाहर धरना दिया जाएगा।