चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की रोक के बाद एक अधिकारी का तबादला करना आबकारी एवं कराधान विभाग हरियाणा को महंगा पड़ गया। हाई कोर्ट ने विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उसके खिलाफ हाई कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने प्रधान सचिव को कोर्ट में पेश होकर अपने पक्ष में हलफनामा भी दायर करने का आदेश दिया है।

स्‍थानांतरण आदेश जारी

दरअसल हाई कोर्ट ने विभाग के एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर स्तर के एक अधिकारी के स्थानांतरित करने पर यथास्थिति के आदेश दिए हुए थे। लेकिन इसके बाद भी विभाग ने अधिकारी के स्थानांतरण आदेश जारी कर दिए। कोर्ट ने कहा कि यथास्थिति का आदेश याचिकाकर्ता की पोस्टिंग को बनाए रखने के लिए था और पोस्टिंग के लिए यथास्थिति के ऐसे आदेश को इस अदालत द्वारा संशोधित नहीं किया गया है।

पारित आदेश को खत्म करने का एक प्रयास

हाई कोर्ट के निर्देश में किसी भी संशोधन के अभाव में, किसी भी नवीनीकरण आदेश को पारित करना स्पष्ट रूप से हाई कोर्ट द्वारा पहले से पारित आदेश को खत्म करने का एक प्रयास है। यह स्पष्ट रूप से हाई कोर्ट अवमानना है, इसलिए आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रधान सचिव को हाई कोर्ट में होकर एक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया जाता है।

और क्यों न उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही क्यों शुरू की जाए हाई कोर्ट प्रमुख सचिव को यह सुनिश्चित करने का भी आदेश देता है कि वह हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में जारी पूर्व आदेश की पालना सुनिश्चित करे जब कि कोर्ट द्वारा उक्त आदेश को संशोधित नहीं किया जाता है।

सिंह ने 6 जून, 2023 के आदेश को चुनौती दी थी

हाई कोर्ट के जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने विभाग में डिप्टी एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर (डीईटीसी) के पद पर कार्यरत रविंदर सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए हैं। अपने वकील आर कार्तिकेय के माध्यम से दायर याचिका में सिंह ने 6 जून, 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसके माध्यम से उन्हें डीईटीसी ईस्ट, गुरुग्राम के पद से डीईटीसी, हिपा स्थानांतरित किया गया था।

याचिकाकर्ता की पोस्टिंग के लिए यथास्थिति बनाए रखने का दिया आदेश

कार्तिकेय ने कोर्ट के सामने दलील दी कि याचिकाकर्ता को पहले डीईटीसी, उत्पाद शुल्क (पूर्व), गुरुग्राम के उपरोक्त पद से डीईटीसी, निरीक्षण (बिक्री कर), हिसार में स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि हाई कोर्ट ने 29 मार्च के अपने आदेश में राज्य सरकार को याचिकाकर्ता की पोस्टिंग के लिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। लेकिन यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश के बावजूद याचिकाकर्ता को डीईटीसी, हिपा, गुरुग्राम स्थानांतरित कर दिया गया।

सरकार की तरफ से दलील दी कि गई कि याचिकाकर्ता को प्रशासनिक कठिनाइयों से बचने के लिए डीईटीसी, हिपा के रूप में तैनात किया गया था।सरकार द्वारा यह भी दलील दी गई कि चूंकि याचिकाकर्ता अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए गुरुग्राम में तैनात रहना चाहता था, इसलिए उसकी मुख्य शिकायत का समाधान हो गया है क्योंकि उसकी वास्तविक पोस्टिंग गुरुग्राम में ही रखी गई है।