आज 17 अप्रैल बुधवार को चैत्र नवरात्रि का 9वां दिन है. इसे महानवमी और दुर्गा नवमी के नाम से भी जानते हैं. इस दिन राम नवमी भी मनाते हैं. महानवमी के दिन व्रत रखते हैं और मां दुर्गा नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं. मां सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति को 8 प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं, उसके साथ ही 9 तरह की निधियां भी मिल सकती हैं. देवी सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. ग्रह दोष, रोग, नकारात्मकता आदि का अंत होता है. मां सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति किसी अनहोनी का शिकार होने से बच जाता है. आज रवि योग में मां सिद्धिदात्री की पूजा है. महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ”ट्रस्ट” के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय से जानते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, आरती आदि के बारे में.

महानवमी 2024 के शुभ मुहूर्त और योग
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का प्रारंभ: 16 अप्रैल, दोपहर 01:23 पीएम से हुआ
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का समापन: आज, दोपहर 03:14 पीएम पर
पूर्णाहूति समय: सूर्योदय से लेकर नवमी तिथि के समापन समय तक
ब्रह्म मुहूर्त: 04:25 एएम से 05:09 एएम तक
रवि योग: पूरे दिन

आज के शुभ चौघड़िया मुहूर्त
लाभ-उन्नति मुहूर्त: सुबह 05:53 बजे से सुबह 07:30 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: सुबह 07:30 बजे से सुबह 09:07 बजे तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबी 10:44 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक
चर-सामान्य मुहूर्त: दोपहर 03:34 बजे से शाम 05:11 बजे तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: शाम 5:11 बजे से शाम 06:48 बजे तक

कौन हैं मां सिद्धिदात्री?
मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली देवी हैं, जो कमल पुष्प पर विराजमान होती हैं. वे अपने हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल का फूल धारण करती हैं. इस देवी के नाम से ही स्पष्ट है कि वे सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं, इसलिए उनका नाम मां सिद्धिदात्री है. इनकी पूजा भगवान शिव ने भी की थी, जिससे फलस्वरुप उनको सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी.

मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र
1. ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।

2. सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

मां सिद्धिदात्री के प्रिय भोग
मां सिद्धिदात्री की पूजा के समय उनको पूड़ी, हलवा, चना, खीर, नारियल आदि का भोग लगाना चाहिए.

मां सिद्धिदात्री की पूजा कैसे करें?
आज पूरे दिन रवि योग बना है. सुबह में स्नान करने बाद साफ कपड़े पहनें. उसके बाद पूजा स्थान पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें. उनका गंगा जल से अभिषेक करें. माता को लाल चुनरी, अक्षत्, फूल, माला, सिंदूर, फल, नारियल, चना, खीर, हलवा, पूड़ी आदि अर्पित करते हुए पूजन करें. मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल चढ़ाने से वे प्रसन्न होती हैं. उसके बाद मां सिद्धिदात्री की आरती करें. फिर नवरात्रि हवन और कन्या पूजन करें. पूजा के समापन के बाद आप भी पारण करके व्रत को पूरा करें.

मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।

तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

मां सिद्धिदात्री की जय, मां सिद्धिदात्री की जय, मां सिद्धिदात्री की जय!