सुचिता (सकुनिया) खंडेलवाल बैतूल/कलकत्ता     

परमात्मा की सबसे सुंदर रचनाओं में सबसे पूजनीय होते है धरती में माता -पिता के रूप मे भगवान
माँ ने ने हमें संस्कार दिए और घर का गौरव बढ़ाया, 
पर वो घर को तो घर पापा आपकी मेहनत ने बनाया। 
हमारी उम्मीद, बच्चों की हिम्मत ,परिवार का मान और बैतूल की शान हो आप, 
पापा आप तो हमारे संघर्ष की लड़ाई में हौसले की दीवार हो। 
करते आप हरदम सबकी चिंता और छलकता दर्द आपकी आँखों से हर एक के दुख का, 
ऐसे निष्फल प्रेम को भला अल्फाजों में कैसे पिरोया जाए।
साथ ना आपने कभी किसी का छोड़ा चाहे हो वो अपना या पराया, 
जो भी आया आपके पास, खाली हाथ कभी ना गया। 
हर एक कि तकलीफ से वाकिफ रहते आप, पर जान ना पाता कभी कोई आपके दिल की पीड़ा। 
जिनके दिल में हर दम सबके लिए कुछ करने का ज़ज्बा रहता, जिनके लिए दौलत तो बस लोगों का प्यार है, 
मुश्किल है आपके व्यक्तित्व को शब्दों में बाँधना ।
जिनसे सब कुछ पाया है, जिनने सब कुछ सिखलाया है!! 
कोटि नमन ऐसे पापा को!! जिन्होंने हमारे हर एक पल को आसान बनाया है !!