जींद। Haryana News: डीसी मोहम्मद इमरान रजा द्वारा 10 वर्ष पुरानी स्कूल बसों को सड़कों पर उतारते ही चालान और इम्पाउंड करने के आदेशों के बाद कार्रवाई के डर से स्कूल संचालक नई स्कूल बसें खरीद रहे हैं। अब तक जिले के निजी स्कूलों में 60 से ज्यादा नई बसों की खरीद की जा चुकी है।

स्कूल हादसे में छह लोगों की मौत हो गई

अब हर सोमवार को जिला परिवहन विभाग द्वारा नई बसों की फिटनेस जांच के बाद पासिंग की जाएगी। बता दें कि 15 अप्रैल को कनीना में स्कूल बस हादसे में छह स्कूली बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद सभी जिलों में जिला परिवहन विभाग के अधिकारी हरकत में आए और स्कूल बसों की जांच की गई।

10 साल से ज्यादा पुरानी बस नहीं चला सकते

इस दौरान जिन बसों में खामियां पाई गईं, उन पर जुर्माना लगाया गया। डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने निजी स्कूल संचालकों के साथ बैठक में निर्देश दिए थे कि जिले में कहीं पर भी 10 वर्ष से ज्यादा पुरानी स्कूल बस नहीं चलने दी जाएगी। 10 साल पुरानी बस चलाने पर कार्रवाई की जाएगी।

वहीं जिला परिवहन विभाग की टीम ने स्कूलों में जाकर बसों की जांच की और फिटनेस नहीं मिलने पर जुर्माना किया गया। एक सप्ताह में 50 से ज्यादा बसों की जांच कर उन पर जुर्माना लगाया गया।

इससे स्कूल संचालकों में हड़कंप मच गया। काफी स्कूल संचालकों ने तीन दिनों तक अपने स्कूल बंद भी रख कर विरोध जताया। कार्रवाई के डर से कुछ स्कूल संचालक अब नई बसें खरीद रहे हैं।

पुरानी बसों की फिटनेस जांच के लिए 28 तक का समय

पुरानी हो चुकी स्कूल बसों की फिटनेस जांच के लिए जिला परिवहन विभाग ने स्कूल संचालकों को 28 अप्रैल तक का समय दिया है। 20 अप्रैल से अब तक आठ से 10 स्कूल संचालक ही अपनी बसों की फिटनेस जांच के लिए आए हैं, जबकि सूत्रों की मानें तो 100 से ज्यादा स्कूलों में अभी भी ऐसी बसें चल रही हैं, जिनकी फिटनेस अधूरी है।

इन बसों में सीसीटीवी कैमरे, फायर सेफ्टी उपकरण, स्पीडो मीटर नहीं हैं। अब देखना यह होगा कि 28 अप्रैल के बाद फिर से बसों की जांच का अभियान चलाया जाएगा या फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की जिंदगी का सवाल है, इसलिए यह अभियान लगातार चलते रहना चाहिए और नियमों को पूरा नहीं करने वाली बसों के चालान करने चाहिए।