नूंह पुलिस भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आईसीसीसीसी) के माध्यम से साइबर ठगों के संबंध में और जानकारी जुटा रही है। पुलिस की प्राथमिकता यह है कि पकड़े गए साइबर ठगों ने देश में जिन-जिन राज्यों में लोगों के साथ ठगी की है उनका विवरण जुटाया जाए। 

एसटीएफ के डीआईजी सिमरदीप सिंह और नूंह के एसपी वरुण सिंगला ने बताया कि ठगों से बरामद 66  फोन, 65 फर्जी सिम  आईसीसीसीसी को दी जाएंगी। वहां से पता लग सकेगा कि एक-एक सिम से देश के किस किस हिस्से में कितनी अपराध की घटनाओं को अंजाम दिया गया है। 

यह एक लंबी प्रक्रिया है। इसमें दूरसंचार विभाग सहित कई एजेंसियों की सहायता ली जानी है। उन्होंने कहा कि इस महीने  4 अप्रैल से 8 अप्रैल तक भोंडसी में साइबर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसके बाद पुलिस ने प्रदेश में जामताड़ा के नाम से साइबर ठगी के लिए चर्चा में आ रहे मेवात में ऑपरेशन चलाने का फैसला लिया गया। 

साइबर फ्रॉड से संबंधित इनपुट मिले थे

पुलिस को नूंह जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में साइबर फ्रॉड से संबंधित इनपुट मिले थे। एक कमरे में बैठे-बैठे कुछ लोग दूसरों के बैंक खातों से रकम निकाल लेते थे। 4 अप्रैल से 8 अप्रैल तक भोंडसी में चले साइबर प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद पुलिस को खुफिया जानकारी मिली थी। इसके बाद से ही नूंह में साइबर ठगों पर शिकंजा कसने के लिए इस विशेष ऑपरेशन की रूपरेखा तैयार की गई।

पुलिस ने सबसे पहले 14 गांवों की जानकारी जुटाई

पुलिस ने कार्रवाई से पहले साइबर अपराध के गढ़ माने जाने वाले 14 गांवों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई। खेडला, लुहिंगा खुर्द, लुहिंगा कलां, गोकलपुर, गोधोला, अमीनाबाद, महू, गुलालता, जैवंत, जखोपुर, नई, तिरवाडा, मामलिका और पापड़ा गांव में साइबर अपराधियों के हर ठिकाने की बारीक से बारीक सूचना हासिल की गई।

इसके बाद एक साथ धावा बोला गया। इसमें एक एसपी, छह एएसपी, 14 डीएसपी, 32 इंस्पेक्टर सहित पूरे प्रदेश के पुलिसकर्मी शामिल रहे। वित्तीय योजनाओं में निवेश के नाम पर ठग लोगों को अपना पैसा लगाने का लालच देते थे। ये मैसेज से लिंक भेज कर ठगी को अंजाम देते थे।