भोपाल । बीजेपी और कांग्रेस मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की मैदानी जंग के लिए तैयार हैं। दोनों पार्टियों के युवा संगठनों के पदाधिकारी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की तरफ से 20 प्रतिशत यानी 46 सीटों पर उम्मीदवारी का दावा किया गया है। वहीं, युवा कांग्रेस ने 35 टिकट मांगे हैं। दोनों ही संगठन उम्मीदवारों का चयन करने के लिए कई स्तरों पर सर्वे करा रहे हैं। युवाओं को टिकट के सवाल पर दोनों संगठनों का एक सा जवाब है- जिताऊ उम्मीदवार को ही मौका दिया जाएगा। दोनों पार्टियों के युवा नेता टिकट की दावेदारी को लेकर तर्क दे रहे हैं कि प्रदेश में कुल 5.40 करोड़ से अधिक वोटर्स हैं। इनमें से दो करोड़ 85 लाख यानी 52 प्रतिशत मतदाता 18 से 40 साल के बीच के हैं। 30 लाख वोटर्स ऐसे हैं, जो पहली बार वोट डालेंगे। यही हार-जीत की दिशा तय करेंगे। ऐसे में युवाओं को चुनाव मैदान में उतारा गया तो पार्टी को फायदा होगा। नई लीडरशिप भी डेवलप होगी।
युवा और नए चेहरों पर दोनों ही पार्टियों की नजर है। कांग्रेस ने फॉर्मूला तय कर लिया है कि उम्मीदवार के चयन का आधार बूथ जोड़ो-यूथ जोड़ो अभियान की सफलता होगा। इसी तरह बीजेपी में ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ अभियान भी युवा मोर्चा के पदाधिकारियों और सदस्यों की मेहनत पर टिका है। लिहाजा, दोनों ही दल टिकट फाइनल करने से पहले युवाओं को केंद्र में रखेंगे। बहुजन समाज पार्टी 2018 में सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी। बुंदेलखंड-चंबल क्षेत्र की दो सीटों- भिंड और पथरिया पर ही उम्मीदवार जीत पाए। दोनों विधायकों- संजीव सिंह और रामबाई की उम्र 2018 में 40 साल थी। 2013 के चुनाव में बसपा के 4 उम्मीदवार जीते थे।
कांग्रेस ने इस अभियान में उन युवाओं को टारगेट किया है, जो इस चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले हैं। युवा कांग्रेस की बूथ समितियों को जो जिम्मा दिया गया है, उनमें फस्र्ट टाइम वोटर की पहचान करना भी शामिल है। इन लोगों से लगातार संपर्क में बने रहने का टास्क भी अलग-अलग टीमों को मिलेगा। मतदाता सूची से जिन वोटरों का नाम कट गया है या जो उस क्षेत्र के निवासी नहीं है यानी फर्जी है, उनकी पहचान भी करना होगी। पिछले चुनाव में फर्जी वोटरों की कई शिकायतें आई थीं। उस समय संगठन पर इसे लेकर सवाल भी उठे थे।