मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में दो बड़े दल शिवसेना और एनसीपी कभी किंगमेकर हुआ करते थे। आज दोनों दल दो-दो गुटो में बंट गए हैं। शिवसेना किस की है इसका फैसला स्पीकर राहुल नार्वेकर ने दे दिया है। बीते रोज उन्होने साफ कर दिया कि शिंदे की ही असली शिवसेना है। इसके बाद बारी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी की है। इसमें शरद पवार और अजीत पवार के बीच जंग छिड़ी हुई है। दोनों ही दिग्गज नेता एनसीपी पर अपना अपना दावा ठोक रहे हैं। ऐसे में शरद पवार की धड़कने तेज होना लाजिमी है। माना जा रहा है कि कहीं शिवसेना जैसा ही हाल एनसीपी का न हो जाए। कहीं असली एनसीपी अजीत पवार की हो गई तो शरद पवार के लिए बड़ा राजनैतिक झटका होगा। इस तरह की चर्चा इसलिए जोर पकड़ रही है कि एनसीपी पर 31 जनवरी तक स्पीकर को फैसला लेना है।
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर से उद्धव ठाकरे को जिस तरह से झटका मिला है, ऐसे में अब सबकी नजरें शरद पवार और अजित पवार के बीच जारी जंग पर टिक गई है। जिस तरह से उद्धव के खिलाफ और एकनाथ शिंदे के पक्ष में स्पीकर का फैसला आया है, ऐसे में शरद पवार की भी बेचैनी बढ़ सकती है। यहां बताना जरूरी है कि शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने बगावत कर दी थी। एनसीपी में दो जुलाई को तब विभाजन हो गया था, जब अजित पवार और आठ अन्य विधायक एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गये थे। इन आठ विधायकों में छगन भुजबल, हसन मुशरिफ, दिलीप वलसे पाटिल आदि शामिल हैं। माना जा रहा है कि इस मामले में आखिरी सुनवाई 25 जनवरी से शुरू होगी, जो 27 जनवरी तक चलेगी और इसके बाद फिर स्पीकर अपना फैसला सुनाएंगे।
महाराष्ट्र में शिवसेना के बाद अब किसकी एनसीपी है असली, इस पर फैसले की बारी है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना पर अपना फैसला सुना दिया और एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को ही असली शिवसेना माना। इस फैसले से आहत उद्धव ठाकरे ने अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। उद्धव ठाकरे पर स्पीकर के फैसले के बाद अब शरद पवार की बारी है। शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच असली एनसीपी किसकी है, पर जंग जारी है, जिसे लेकर इस महीने यानी 31 जनवरी तक स्पीकर राहुल नार्वेकर को फैसला लेना है।
दरअसल, महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बुधवार को असली शिवसैनिक कौन से जुड़े अयोग्यता संबंधी कई याचिकाओं का निपटारा कर दिया। मगर अब एनसीपी के दो गुटों के बीच जारी झगड़े का फैसला करना है। एनसीपी गुट द्वारा दायर याचिकाओं पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक 31 जनवरी तक फैसला लेना होगा। खबर के मुताबिक, महाराष्ट्र विधायिका सचिवालय के रिकॉर्ड से पता चलता है कि कार्यवाही 6 जनवरी को शुरू हुई। उम्मीद की जा रही है कि 18 जनवरी को या उससे पहले इस मामले में शामिल सभी पक्ष गवाहों की सूची साझा करेंगे और हलफनामा दाखिल करेंगे। इस मामले में गवाहों से 20 जनवरी को जिरह यानी क्रॉस एग्जामिनेशन होगी, जबकि उत्तरदाताओं से 23 जनवरी को जिरह होगी। बता दें कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला पढ़ते हुए नार्वेकर ने कहा था कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी समूहों का उदय हुआ तो शिवसेना का एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला धड़ा ही ‘असली राजनीतिक दल’ (असली शिवसेना) था।