नई दिल्ली। दिल्ली पुराना किला में पांडवों की राजधानी ढूंढने के लिए प्रयास ठप नहीं होंगे,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) अक्टूबर से फिर कुंती मंदिर वाले खोदाई स्थल पर इस कार्य को विस्तार देगा। केंद्रीय संस्कृति मंत्री के निर्देश के बाद एएसआइ ने इस कार्य के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है।

इस साल हुई खोदाई वाले स्थल के अब पश्चिम और उत्तर दिशा में नए ट्रेंच (गड्ढे) बनाए जाएंगे। इस कार्य को शुरू करने से पहले लिडार सर्वेक्षण का सहाररा लेने पर भी विचार किया जा रहा है ताकि जमीन में दबे अवशेषों पर आसानी से पहुंचा जा सके। लिडार सर्वेक्षण के माध्यम से जमीन के अंदर दबे अवशेषों के बारे में पता लगाया जाता है।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी और राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी अलग-अलग यहां का निरीक्षण कर खोदाई के कार्य को विस्तार देने का एएसआइ को निर्देश दे चुकी हैं। यहां इस बार भी दो स्थानों पर खोदाई हुई है।शेर मंडप स्थल पर हुई खोदाई में अभी तक मौर्य काल तक के साक्ष्य मिल चुके हैं।

मगर अभी तक इंद्रप्रस्थ तक नहीं पहुुंचा जा सका है या हों कहें कि ऐसा कोई मजबूत साक्ष्य नहीं मिल सका है जिससे एएसआइ कह सके कि महाभारत के समस तक पहुंचा जा चुका है।वैसे इस बार की भी खोदाई मेें वे कई चित्रित मृदभांड मिले हैं, जिन्हें महाभारत कालीन माना जाता है।

बहरहराल अक्टूूबर से पुराना किला में इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए फिर से खोदाई शुरू होगी।इसी बीच पुराना किला में इस बार और पिछले सालों में हुई खोदाई स्थल को बांस और पोलिथिन लगाकर ढंक दिया गया है। समय पर खाेदाई स्थल के ऊपर ढंकने की व्यवस्था न करने से इसे नुकसान भी हुआ है।वर्षा के चलते यहां अभी फिलहाल खोदाई जारी रहने की उम्मीद नहीं है।

एएसआइ ट्रेंच के सूख जाने का इंतजार कर रहा है। इसके बाद खोदाई स्थल के ऊपर टीन शेड लगाकर खोदाई स्थल को खाेल दिया जाएगा।यहां पर सितंबर में जी-20 के दौरान विदेशी मेहमानों को लोकर उन्हें खोदाई स्थल दिखाने की भी योजना है।

एएसआइ को उम्मीद है कि तब तक खोदाई स्थलों को ढंकने आदि की व्यवस्था कर ली जाएगी। यहां जनवरी से कुंती मंदिर स्थल पर हुई खाेदाई में प्रारंभिक कुषाण काल की संरचनाएं मिली हैं, जिसमें अब तक 5.50 मीटर की गहराई तक खोदाई की जा चुकी है।

इस उत्खनन से इंद्रप्रस्थ के प्राचीन शहर के बारे में और जानकारी मिलने की उम्मीद है।यहां नौ सांस्कृतिक काल के प्रमाण मिले हैं। यह पांचवी बार उत्खन्न किया गया है। दिल्ली में ये एकमात्र पुरातात्विक स्थल है जिसका संबंध महाभारत काल से है। जल्द ही यहां ओपन एयर संग्रहालय भी बनाया जाएगा।ताकि लोग राजधानी में उत्खन्न स्थल का अनुभव कर सकें।

यहां  मिले थे अवशेष

पुराना किला में उत्खन्न के दौरान पूर्व मौर्य काल, मौर्य काल, शुंग, कुषाण काल, गुप्त,उत्तर गुप्त, राजपूत काल, सल्तनत व मुगल काल के अवशेष प्राप्त हो चुके हैं। यहां मिले हैं ये पुरावशेष कुंती मंदिर स्थल पर वैकुंठ विष्णु भगवान की 900 साल पुरानी राजपूत काल की प्रतिमा -गुप्तकाल की लगभग 1200 वर्ष पुरानी गजलक्ष्मी की एक टेराकोटा की प्रतिमा -राजपूत काल की भगवान गणेश की एक छोटी प्रतिमा -सिक्के व मुहरें मिली हैं जिन्हें पढ़ा जा चुका है।इन पर ब्राह्मी लिपि में लिखा हुआ है।

शेर मंडल के पास वाली खोदाई में -मौर्य काल से पहले के संरचनात्मक अवशेष -टेराकोटा का कुआं, ड्रेनेज सिस्टम -शुंग-कुषाण काल से भी पुराने चार कमरों का परिसर- तांबे के कई सिक्के --कई चित्रित मृदभांड मिले हैं, जिन्हें महाभारत कालीन माना जाता है।