मानो तो मैं गंगा मां हूं, ना मानो तो बहता पानी, जी हां यह कहावत यहा भी लागू होती है कि अगर भगवान के प्रति आस्था है तो पत्थर में भी भगवान नजर आते है. जोधपुर के शनिधाम में इसी आस्था के साथ शनिधाम महंत पंडित हेमंत बोहरा ने भगवान को सर्दी ना लगे इसके लिए भगवान की मूर्तियों पर शॉल ओढ़ाने के साथ उन्हे मफलर व अन्य सर्दी के कपड़े ओढ़ाने के साथ अलाव की भी व्यवस्था की गई है.

जोधपुर में जब से सर्दी बढ़ी है तब से एक ओर जहां लोगों ने खुद के बचाव के लिए सर्दी के कपड़े, रजाई और कम्बलों की अच्छी खासी व्यवस्था की है. तो वहीं, जोधपुर के मंदिरों में भी भगवान को ठंड से बचाने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं. यहां भगवान की मूर्तियों को गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही रात में देवी-देवताओं के श्रृंगार के बाद उन्हें गर्म शॉल और गर्म कपड़ों से ढका जाता है.

जोधपुर के शनिधाम के महंत पंडित हेमंत बोहरा का कहना है कि उनकी यह भगवान के प्रति श्रद्धा और स्वभाव जताने का तरीका है. श्रद्धालुओं को इससे खुशी मिलती है. वैसे भी जिस तरह इंसान को ठंड लगती है वैसे भगवान को भी ठंड लगती है, क्योंकि यह सभी मूर्तियां प्राण प्रतिष्ठित होती है और भक्तों का भगवान पर अत्यंत गहरा भरोसा होता है तभी भावनाएं आपस में जुड़ी रहती हैं. यही नहीं, शनि धाम में विराजित तमाम तरह के भगवान की मूर्तियों पर शॉल इत्यादि की व्यवस्था की गई है. जोधपुर के शनिधाम में पंडित हेमंत बोहरा ने भगवान शनिदेव, हनुमान जी, ठाकुरजी व सभी भगवानों की मूर्तियों को सर्दी के कपड़े पहनाए गए है.

जानिए इसके पीछे क्या है मान्यता
पौराणिक मान्यता अनुसार सर्दी शुरू होते ही वैष्णव मंदिरों में पुजारी द्वारा ठाकुर जी की प्रतिमा को ऊनी वस्त्र पहनाकर सर्दी से बचाव किए जाते हैं. इसके साथ ही समूचे मंदिर प्रांगण में ऊनी गलीचा भी बिछाया जाता है. साथ ही तेज सर्दी के दौरान गर्म अंगीठी से ठाकुरजी को अलाव से भी ताप करवाने की परंपरा है. जोधपुर के शनि धाम में आने वाले श्रद्धालुओं ने भी अपनी भावनाओं से अवगत करते हुए बताया कि उनकी भगवान में श्रद्धा है इसलिए अपनी ओर से भी शॉल व गरम कपड़ों इत्यादि की व्यवस्था करते हैं और यह भावना का मामला है इसे शब्दों में विवेचित नहीं किया जा सकता.

दक्षिणमुख शनि के देश में केवल दो ही मंदिर
हेमंत बोहरा बताते है कि जोधपुर के शनिधाम के इस शनि मंदिर की मान्यता की बात करें तो महाराष्ट्र के अंदर आने वाले शनि शिंगणापुर जिसकी सिद्धपीठ राजस्थान में केवल इसी जोधपुर के मंदिर में है. दो ही पीठ है एक शनि शिंगणापुर महाराष्ट्र में जहां दक्षिणमुख में शनि और भगवान हनुमान पिपलेश्वर महादेव के साथ विराजमान है और दूसरी पीठ राजस्थान का यह पहला शनिधाम जो दक्षिण मुख में शनि और भगवान हनुमान पिपलेश्वर महादेव के साथ विराजमान है. दक्षिणमुख में शनि और भगवान हनुमान की यह मान्यता है कि यह तुरंत फलदायक और शीघ्र मनोकामनाएं पूर्ण करते है.