बेंगलुरु । कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद अब मुख्यमंत्री पद पर गहरा मंथन चल रहा है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि सोमवार को राज्य के सीएम का ऐलान हो सकता है। कांग्रेस ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर सीएम का फैसला छोड़ा है। खास बात है कि भले ही चर्चा में प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और दिग्गज सिद्धारमैया का नाम हो, लेकिन करीब 5 और धुरंधर इस रेस में आगे चल रहे हैं। खबर है कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद की रेस में शिवकुमार और सिद्धारमैया के अलावा एचके पाटिल, डॉक्टर जी परमेश्वर, आरवी देशपांडे, शमानुर शिवशंकरप्पा और एमबी पाटिल का नाम भी शामिल है। इनमें भी दो दिग्गज परमेश्वर और पाटिल दावा मजबूत करते नजर आ रहे हैं। खुद खड़गे पद से दूरी बनाने के संकेत दे चुके हैं। हाल ही में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई थी, जहां प्रदेश के शीर्ष पद को लेकर चर्चा हुई। कहा जा रहा है कि अगर शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच तनातनी बढ़ती है, तो पार्टी एचके पाटिल या परमेश्वर के नाम पर विचार कर सकती है। इसके अलावा अगर सिद्धारमैया को सीएम पद सौंपा जाता है, तो दो उपमुख्यमंत्री सरकार में बनाए जा सकते हैं। जिनमें शिवकुमार के साथ इन दोनों में से किसी नेता को भी जिम्मेदारी मिल सकती है। 
कोरटगेरे विधानसभा क्षेत्र से करीब 14 हजार मतों से जीत हासिल करने वाले 72 साल के परमेश्वर भी सीएम पद की दौड़ में माने जा रहे हैं। साल 2008 में उन्होंने इस सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था। साल 2018 में भी वह कांग्रेस-जेडीएस सरकार में उपमुख्यमंत्री बने थे। उनके नाम कर्नाटक कांग्रेस का सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर बने रहने का रिकॉर्ड है। साथ ही वह राज्य में पार्टी का बड़ा दलित चेहरा भी माने जाते हैं। कृषि में बीएससी और एमएससी करने वाले परमेश्वर ने प्लांट फिजियोलॉजी में पीएचडी उपाधि एडिलेड यूनिवर्सिटी से हासिल की है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने परमेश्वर से पहली बार साल 1989 में बात की और उन्हें राजनीति में आने का न्योता दिया था। उस दौरान उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का सह सचिव बनाया गया था। 
साल 1999 में वह पहली बार एसएम कृष्णा कैबिनेट में राज्यमंत्री बने। 70 वर्षीय हनुमंतगौड़ा कृष्णगौड़ा पाटिल ने 2023 में गाडग विधानसभा से जीत हासिल की है। उनका नाम कर्नाटक के बड़े राजनेताओं में शुमार है। उनके पिता दिवंगत केएच पाटिल भी कर्नाटक सरकार में मंत्री रह चुके हैं। खास बात है कि पाटिल को हुलकोटी का टाइगर कहा जाता है। सियासी करियर की शुरुआत के साथ ही वह कांग्रेस से जुड़े हुए हैं और मंत्री समेत कई बड़े पद संभाल चुके हैं।