भोपाल। विधानसभा चुनाव के पहले जिस तरह से महिलाओं को लाड़ली बहना योजना का लाभ प्रदेश सरकार ने दिया था, उसी तर्ज पर अब मोहन सरकार लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों को बड़ा तोहफा देने जा रही है। इसके तहत दूध उत्पादक किसानों को प्रत्येक लीटर दूध के उत्पादन पर पांच रुपए की बोनस राशि दी जाएगी। यह राशि हर महीने उनके खाते में जमा कर दी जाएगी। यह राशि देने के लिए वित्त विभाग को भी प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे स्वीकृति दे दी गई है। अब इस प्रस्ताव पर अमल के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाना है। गौरतलब है कि प्रदेश में  दुग्ध संघ सहकारी समितियों के माध्यम से हर दिन किसानों से 10 लाख लीटर दूध खरीदता है। दूध उत्पादकों को प्रोत्साहन राशि देने पर सरकार के खजाने पर सालाना 200 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा।
दरअसल, डॉ. मोहन यादव सरकार का पूरा फोकस प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने, अत्यधिक दूध की मात्रा को संकलित करने और दूध उत्पादकों को दूध के सही दाम देने पर है। इसके लिए सरकार मप्र में गुजरात के अमूल मॉडल की तर्ज पर काम करने जा रही है। इस सिलसिले मे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पिछले महीने अहमदाबाद में अमूल डेयरी के अधिकारियों के साथ बैठक भी कर चुके है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गुजरात के शत- प्रतिशत गांवों में अमूल सहकारी समितियों के माध्यम से दूध संकलन कर उचित दाम दिए जाते हैं।
गुजरात की तर्ज पर दूध संकलन की तैयारी
 मप्र सरकार भी गुजरात की तर्ज पर गांव-गांव मे सहकारी समितियों के माध्यम से दूध संकलित करने की तैयारी रही है। प्रदेश में दुग्ध संघ वर्तमान में 10 हजार दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से दूध संकलित करता है। पहले चरण में सहकारी समितियों की संख्या 10 हजार से बढ़ाकर 25 हजार करने की कार्ययोजना बनाई गई है। सरकार दूध उत्पादकों को दूध की कीमत के अतिरिक्त 5 रुपए प्रोत्साहन राशि देने का मकसद यह है कि किसानों को दूध का उचित दाम मिले, अधिक से अधिक किसान दूध उत्पादन के लिए प्रोत्साहित हो और वे प्राइवेट विक्रेताओं की बजाय दुग्ध संघ को दूध बेचें। एमपी स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के अधिकारियों का कहना है कि मप्र में गुजरात से ज्यादा दूध का उत्पादन होता है, लेकिन दुग्ध संघ का व्यापक नेटवर्क नहीं होने से दूध का संकलन नहीं हो पाता। गौरतलब है कि दूध उत्पादन में मप्र तीसरे स्थान पर है। देश में दूध के कुल उत्पादन का राजस्थान में 15.05 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 14.93 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 8.06 प्रतिशत उत्पादन होता है। मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 545 ग्राम प्रतिदिन है, जो राष्ट्रीय औसत (406 ग्राम) से ज्यादा है।