सुचिता (सकुनिया) खंडेलवाल बैतूल/कलकत्ता       

मातृ दिवस पर विशेष लेख 
     

        
     माँ के बिना जीवन अधूरा है। अगर माँ नहीं होती तो हमारा कोई अस्तित्व ही नहीं होता। माँ ने ही हमें इस जग से रूबरू कराया। हमारे लिए तो माँ के साथ बिताया हर दिन ही अनमोल है पर आजकल जब से हमारे जीवन में पाश्चात्य संस्कृति ने प्रवेश किया तब से हर रिश्ते को मनाने का तरीका भी थोड़ा अलग हो गया। वैसे पाश्चात्य सभ्यता की हर चीज खराब नहीं होती। ऐसे ही सभ्यता की देन हैं मातृ दिवस।
मातृ दिवस का मतलब होता है मां का दिन। पूरी दुनिया में मई माह के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है। मातृ दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य मां के प्रति सम्मान और प्रेम को प्रदर्शित करना है। हर जगह मातृ दिवस मनाने का तरीका अलग-अलग होता है, लेकिन इसका उद्देश्य एक ही होता है। माँ को बस खुश करना। वैसे दुनिया में अगर सबसे सरल काम अगर कोई है तो वो माँ के चेहरे पे मुस्कान लाना। बच्चे को पेट भर खाना खाता देख ही माँ के चेहरे में मुस्कान आ जाती है। उसको चैन से सोता देख ही उसका दिल उल्लास से भर जाता है। इसलिए माँ को खुश करना बहुत आसान है। 
फिर भी आजकल के बच्चे ना जाने क्या क्या करते है। कोई अपनी माँ का मनपसंद खाना बनाता है तो कोई उसकी पसंद की चीज उपहार में लगता है। कोई माँ के पुराने दोस्तों की महफिल जामाता है तो कोई उनको बाहर घुमाने ले जाता है। इन सब में बच्चों को अपने पापा का भी खूब सहयोग मिलता है। आजकल बाजार में भी मातृ दिवस के उत्सव को मनाने के लिए तरह तरह की चीज मिलने लगी है। विभिन्न प्रकार के टोकरी भी मिलते है। 
इस दिन को मनाने के लिये घर पर हर कोई एक साथ होता है और घर या बाहर जाकर मजेदार व्यंजनों का आनंद लेता है। परिवार के सभी सदस्य माँ को उपहार देते है तथा ढ़ेर सारी बधाईयाँ देते है। हमारे लिये माँ हर वक्त हर जगह मौजूद रहती है। हमारे जन्म लेने से उनके अंतिम पल तक वो हमारा किसी छोटे बच्चे की तरह ख्याल रखती है। हम अपने जीवन में उनके योगदानों की गणना नहीं कर सकते है। यहाँ तक कि हम उनके सुबह से रात तक की क्रिया-कलापों की गिनती भी नहीं कर सकते।
आज जब में यह लिख रही हूँ तो मुझे मेरा बचपन याद आ गया। उस समय मातृ दिवस जैसे कोई दिवस नहीं बनाए जाते थे। हर दिन एक जैसे ही होता था। बस दिन भर माँ के आगे पीछे घूमना, उनके काम में उनकी मदद करना, डांट खाके गुस्सा हो जाना और फिर मुझे मनाने के लिए माँ का मेरा पसन्दीदा खाना बनाना। बस यह होता था। असल में माँ को स्पेशल महसूस कराने का कभी ख्याल ही नहीं आया क्योंकि माँ ने कभी कुछ माँगा ही नहीं वो तो हमेशा दूसरों के बारे में ही सोचती रहती थी। 
मुझे आज तक पता नहीं चल पाया है कि जो मेरे मन में चल रहा होता है वो मेरी माँ को कैसे पता चल जाता है, माँ और बच्चों का रिश्ता बहुत ही अनमोल होता है जो कभी खत्म नहीं हो सकता है। कोई भी माँ कभी भी अपने प्यार और परवरिश में कमी नहीं लाती हैं.
पर आज जब में खुद एक माँ बन गई और मेरा बेटा जब 
मातृ दिवस पर मेरे लिए कार्ड बनाता है। मुझे रसोई घर में जाने नहीं देता। अपने पापा को बोल के मेरे लिए गिफ्ट मांगता है। खुद केक बनाता है तो सच कहु मन में एक कसक सी उठती हैं कि काश हम भी अपनी माँ के किये कुछ स्पेशल करते। आज भी अगर मुझे मौका मिले तो में अपनी माँ के दिन को यादगार बनाने की कोशिश जरूर करेगें। हाँ आजकल जैसे तामझाम भले ही ना करु पर अपने मन की भावना को इस कविता के रूप में जरूर उनको समर्पित करना चाहती हूं। वो एक शब्द जिसमें मेरा पूरा संसार समाया, बस वो ही ‘‘माँ’’ कहलाया।
जिसकी ममता में फीका सा लगता भगवान भी, 
माँ तूने ही तो मुझे मुझसे मिलाया। 
तू कहती परछाई हूं में तेरी, 
पर माँ तू तो मौजूद है रूह में मेरी। 
मेरी बढ़ते हुए कदम देख जो फूली नहीं समाती, 
माँ ही है जो कभी पीछे मुड़ना नहीं सिखाती ।
पापा के गुस्से में जो मेरी डाल बन जाती, 
माँ एक तू ही है जो कभी खफा नहीं हो पाती। 
तेरे पास होने से हर तरफ उजाला हो जाता  
तेरे प्यार से  जहर भी अमृत का प्याला हो जाता ।।
सोचते ही मेरी हर ख्वाईश खुद पूरी हो जाती है,
क्योंकि मुझसे पहले मां तेरी दुआ कबूल हो जाती। ।
माँ मेरी हर सांस की कहानी है तू  ,
मेरे सर्वस्व की पहचान है तू,
चरणों में करतीं नित नित नमन ,
तेरी कोख से ही हो हर बार मेरा जन्म।।
मातृ दिवस की शुभकामना