मराठा समाज की सामाजिक क्रांति, फिजूलखर्ची और दहेज के खिलाफ एकजुटता

महाराष्ट्र में वैष्णवी हगवणे के सुसाइड मामले के बाद पूरे मराठा समुदाय ने एक बेहतरीन सामाजिक पहल की शुरुआत की है. उन्होंने शादी-विवाह में होने वाली फिजूलखर्ची को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है, जिससे किसी दूसरी वैष्णवी को दहेज के कारण सुसाइड न करना पड़े. इसे लेकर मराठा समुदाय के प्रमुख नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई, जिसमें उन्होंने शादी को सिंपल तरीके से करने और दहेज जैसी कुप्रथा को खत्म करने का संकल्प लिया.
दरअसल, यह पहल एक दुखद घटना के बाद की गई, जिसमें एनसीपी के निष्कासित नेता राजेंद्र हगवणे की बहू वैष्णवी ने दहेज उत्पीड़न के कारण आत्महत्या कर ली थी.
बैठक में कांग्रेस के इकाई अध्यक्ष अरविंद शिंदे, एनसीपी (एसपी) के नेता अंकुश काकड़े, विधायक चेतन तुपे, पूर्व महापौर राजलक्ष्मी भोसले, पूर्व नगरसेवक श्रीकांत शिरोले, एनसीपी (एसपी) शहर इकाई के अध्यक्ष प्रशांत जगताप और मराठा कोटा कार्यकर्ता राजेंद्र कोंधारे जैसे प्रमुख लोग शामिल हुए. इस बैठक में कई अहम प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें शादी में फिजूलखर्ची रोकना, सास-ससुर को बहू के सम्मान के लिए जागरूक करना और माता-पिता को अपनी बेटियों के उत्पीड़न के खिलाफ समर्थन देने के लिए प्रेरित करना शामिल है.
सिंपल शादियां करो, नहीं तो होगा सामाजिक बहिष्कार
बैठक में यह तय किया गया कि मराठा समुदाय अब बहुत ताम-झाम वाली शादियों का पार्ट नहीं बनेगा. श्रीकांत शिरोले ने कहा, ‘वैष्णवी की दुखद घटना ने पूरे समुदाय को झकझोर दिया है. हम अब एक ऐसा मंच बनाएंगे, जो सिंपल शादियों को बढ़ावा देगा और फिजूलखर्ची को रोकेगा.’
कांग्रेस नेता अरविंद शिंदे ने बताया कि समुदाय ने उन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार (Social Boycott) करने का फैसला किया है, जो अपनी बहुओं का उत्पीड़न करते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों से कोई अपनी बेटी का रिश्ता नहीं करेगा. उन्होंने यह भी बताया कि मिडिल क्लास फैमिलीस अक्सर अमीरों की नकल में खर्चीली शादियां करती हैं, जिससे उन पर आर्थिक बोझ पड़ता है. कई बार लोग अपनी प्रोपर्टी बेचकर या कर्ज लेकर शादी करते हैं, जिसे समुदाय अब रोकना चाहता है.
सास-ससुर को जागरूक करने की जरूरत
पूर्व महापौर राजलक्ष्मी भोसले ने कहा कि सास और ननद को अपनी बहू को बेटी की तरह मानने के लिए जागरूक करना जरूरी है. उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है, ताकि वे अपने हक के लिए खड़ी हो सकें.’ साथ ही, उन्होंने यह भी जोड़ा कि बहुओं को यह भरोसा होना चाहिए कि उत्पीड़न की स्थिति में उनके माता-पिता उनका साथ देंगे.
वैष्णवी मामले में जांच पर होगी सबकी नजर
मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने वैष्णवी के परिवार से मुलाकात की और पुलिस से इस मामले की जांच को गंभीरता से लेने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘वैष्णवी की आत्महत्या के मामले की जांच से यह साबित होगा कि होम डिपार्टमेंट कितना प्रभावी है. अगर दोषियों को सजा नहीं मिली, तो यह पूरे राज्य में आक्रोश पैदा करेगा.’ जारांगे ने दहेज प्रथा को सामाजिक बुराई बताते हुए इसे पूरी तरह खत्म करने की अपील की.
क्या है वैष्णवी हगवणे का पूरा मामला
वैष्णवी ने 16 मई को पुणे जिले के पिंपरी-चिंचवड के बावधन में अपने ससुराल में आत्महत्या कर ली थी. उनके परिवार का आरोप है कि राजेंद्र हगवणे और उनके रिश्तेदारों ने वैष्णवी से 2 करोड़ रुपये की जमीन की मांग की थी. जबकि शादी में वैष्णवी के परिवार ने 51 तोला (595 ग्राम) सोना, चांदी और एक एसयूवी दी थी. लेकिन फिर भी ससुराल वालों का पेट नहीं भरा और वे उसका उत्पीड़न करते रहे. पुलिस ने राजेंद्र हगवणे, उनके बेटे शशांक, पत्नी लता, बेटी करिश्मा और बेटे सुशील को गिरफ्तार किया है. इसके अलावा, पांच अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया, जो राजेंद्र और उनके बेटे को छिपाने में मदद कर रहे थे.