डायट मनी के नाम पर हो रहा घपला
बठिंडा। जिला प्रशासन की तरफ से गांव हररायेपुर में चलाई जा रही गोशाला में लगातार गोवंश की हो रही मौतों के बाद वीरवार को गो सेवा कमिशन के चेयरमैन अशोक सिंगला ने हररायेपुर गोशाला का दौरा किया।
इस दौरान शहर की विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने गोशाला के कुप्रबंधन को लेकर प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने का मामला भी उठाया।
गोवंश की डाइट मनी पर खड़े किए गए सवाल
वहीं मौके पर गोशाला प्रबंधन की तरफ से गोवंश की डाइट मनी के लिए काउ सेस फंड हासिल करने हेतु भेजे जाने वाली जानकारी पर भी सवाल खड़े किए गए। इस दौरान नौजवान वेलफेयर सोसायटी के प्रधान सोनू महेश्वरी ने बताया कि गो सेवा कमिशन के चेयरमैन के सामने हाल ही में गौशाला प्रबंधन की तरफ से डाइट मनी के लिए आवेदन नगर निगम को दिया है। इसमें 967 गायों के लिए डाइट मनी जारी करने के लिए कहा गया है।
नगर निगम को किया जा रहा गुमराह
संस्था वर्करों ने जब मौके पर जाकर गोवंश की गिनती की, तो वहा 766 गोवंश था। इस तरह से करीब 201 गोवंश की अतिरिक्त डाइट मनी मांगी गई है। संस्था वर्करों ने कहा कि जिला प्रशासन व नगर निगम को गुमराह कर 201 अतिरिक्त गोवंश दिखाए जा रहे हैं। इसमें 19 अप्रैल 2024 को भी एक रिपोर्ट गोशाला की तरफ से भेजी गई थी, जिसमें 967 गोवंश गौशाला में बताए गए। इसमें एक माह के अंदर ही पशुओं की तादाद 766 रह गई।
लाखों रुपयों का किया जा रहा घपला: वर्कर
इससे साबित होता है कि करीब 200 से अधिक जानवर एक माह के अंदर ही गोशाला के अंदर कुप्रबंधन के कारण मर चुके हैं व अब मरे हुए पशुओं की डाइट मनी भी हासिल कर लाखों रुपये का घपला हर माह किया जा रहा है।
उन्होंने इस बाबत चेयरमैन गो सेवा कमिश्नर के पास यह मामला उठाया, तो उन्होंने जिला प्रशासन को हिदायत दी कि वह मौके पर सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों को लेकर जाए व गायों की गिनती करे व गौशाला की तरफ से भेजी जा रही गलत जानकारी की पड़ताल करे।
गंभीरता से जांच करने के आदेश जारी
वहीं गौशाला में आए दिन पशुओं की मौत के मामले आने पर भी गंभीरता से जांच करने के लिए कहा है। सोनू महेश्वरी ने कहा कि अब जिला प्रशासन कह रहा है कि वह मौके पर एनजीओ को साथ नहीं लेगे, क्योंकि इससे माहौल खराब होने की आशंका है। प्रशासन अपने स्तर पर ही मामले की जांच कर रिपोर्ट देगा। गौरतलब है कि बठिंडा की हररायेपुर गोशाला अपने निर्माण काल से ही विवादों में रही है।
यह गौशाला पहले जिला प्रशासन के अधीन थी, जिसमें आरोप लगे कि प्रशासन प्रबंधकीय व्यवस्था को सुचारु करने में नाकाम हो रहा है व इस संस्था का काम किसी संगठन को सौंप देना चाहिए। इसमें जिला प्रशासन की तरफ से पिछले साल मोगा के लोपो स्थित एक डेरे को गौशाला के प्रबंधन का काम सौंप दिया था व इस संबंध में एक बाकायदा एग्रीमेंट भी किया गया था।
राज्य सरकार से आरोपी लोगों पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग
इस संस्था पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वह नगर निगम से हर माह लाखों रुपये की डाइट मनी तो हासिल कर रही है, लेकिन गोशाला में रखे गोवंश की सेवा नहीं कर रहे हैं। यहां संस्था गायों को चारा, नमक, पानी जैसी मूल सुविधा देने में भी नाकाम हो रही है, जिससे लगातार पशुओं की मौत हो रही है। इसमें संगठनों ने जिला प्रशासन, राज्य सरकार से गोवंश की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग भी रखी है।
इस मसले को लेकर सामाजिक संगठनों का आरोप है कि वर्तमान में शहर की दर्जनों संस्थाएं गोशाला में प्रतिदिन हरा चारा, पानी व दूसरे सेवा के लिए सामान भेज रहे हैं, जबकि जिम्मेवार लोपों की संस्था वहां रखे कुछ कर्मचारियों पर खर्च कर रही है। यह कर्मी भी वहां रखे गए जानवरों के मुकाबले काफी कम है। वहीं लोपों की संस्था अब नगर निगम को जानवरों की गलत जानकारी देकर घपला कर रही है। उन्होंने जारी होने वाली डाउट मनी व वहां रखे जानवरों की तादाद को लेकर भी निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की है।