राजीव खण्डेलवाल (लेखक वरिष्ठ कर सलाहकार)  

‘’व्यापम कांड’’ की पुनरावृत्ति? नीट परीक्षा क्या ‘व्यापम’ से भी ज्यादा ‘‘व्यापक’’ होते जा रही है’?

व्यापम कांड की व्यापकता!

पेपर लीकेज की गंभीरता को समझने के लिए इसी तरह  का कांड व्यापम की गंभीरता को समझ लीजिए। याद कीजिए! लगभग 10 साल से ज्यादा बीत चुके वर्ष 2013 में हुआ आजाद भारत के मध्य प्रदेश का विश्व व्यापी बहुचर्चित ‘‘व्यापम’’ (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) कांड जिसमें लगभग 50 से अधिक छात्रों, गवाहों, पत्रकारों, आरोपियों की ‘‘संदिग्ध’’ मृत्यु, आत्महत्या, हत्या या दुर्घटना? द्वारा हुई थी। हजारों (5288) अभ्युक्तियों के खिलाफ सैकड़ों अपराधिक प्रकरण चल रहे हैं, जिनमें से सैंकडों आरोपी अभी भी फरार है। परंतु दुर्भाग्यवश मामला अंतिम परिणाम तक वास्तविक अपराधी षड़îत्रकारियों के विरुद्ध नहीं पहुंच पाया। ऐसा ही एक कांड नीट परीक्षा पेपर लीक कांड (वर्ष 2024) जिसके परिणाम 4 जून को आए, जिसकी छात्रों की दृष्टि से चिंता राष्ट्रव्यापी चर्चा का विषय बनी हुई है। मध्य प्रदेश के व्यापम कांड की तुलना नीट के परीक्षा से इसलिए भी की जा सकती है, क्योंकि नीट परीक्षा का संचालन करने वाली संस्था एनटीए के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप जोशी भी मध्य प्रदेश के ही हैं। आईये! इस नीट पेपर कांड की कुछ परतें खोलने का प्रयास करते हैं।

’एनटीए का गठन कब और क्यों?’

विभिन्न राज्यों में पेपर सेट करने की विभिन्न एजेंसीज होने से होने वाली अनेक गड़बड़ियां, अनियमितताएं तथा पेपर लीकेज के रोकथाम के लिए वर्ष 2017 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए एकल स्वायत्त स्वतंत्र एजेंसी का गठन करने की घोषणा की थी, ताकि प्रवेश परीक्षाओं को दोषमुक्त किया जा सके। परिणाम स्वरूप 1 मार्च 2018 को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) (राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी) अस्तित्व में आयी।

’एनटीए’’ के गठन से लेकर अभी तक के प्रमुख पेपर लीक प्रकरण।’

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के गठन के बाद से ही दुर्भाग्यवश तकरीबन हर साल परीक्षा में गड़बड़ी और धांधली के आरोप लगे हैं। यानी एनटीए ‘‘अकड़ी मकड़ी दूधमदार, नजर उतर गई पल्लेपार’’ कराने वाली एजेंसी मात्र बन कर रह गयी है। पिछले 5 सालों में एनटीए की लगभग 60 परीक्षाओं में से लगभग 12 परीक्षाओ  में पेपर लीक या अन्य गड़बड़ियों पायी गई। साल 2019 में जेईई मेंन्स के दौरान छात्रों को सर्वर में खराबी होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा। साथ ही कुछ जगहों पर छात्रों ने प्रश्न पत्र में देरी की भी शिकायत की थी। नीट अंडरग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम 2020 में एनटीए पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे। परीक्षा को कई बार स्थगित करना पड़ा था। साल 2021 में जेईई मेन्स के एग्जाम में कुछ गलत प्रश्न को लेकर भी हंगामा देखने को मिला था। 2021 में ही नीट परीक्षा में राजस्थान के भांकरोटा में सॉल्वर गैंग द्वारा गड़बड़ी करने का मामला सामने आया था। विभिन्न केंद्रीय, राज्य, प्राइवेट और डीम्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए आयोजित कॉमन यूनिवर्सिटएंट्रेंस टेस्ट में साल 2022 में गड़बड़ी की शिकायतें हुई थीं। सबसे ज्यादा शिकायतें राजस्थान से आई थी।
    उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, असम, अरुणाचल प्रदेश पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर..ये देश के वो 16 राज्य हैं, जहां पिछले 5 सालों में 41 भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हुए जिससे लगभग 1 करोड़ 70 लाख छात्र प्रभावित हुए। यानी परीक्षा में पेपर लीक की महामारी देशभर में फैली हुई है, क्योंकि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है। ‘‘इस हमाम में सब नंगे हैं’’ वरना ‘‘ऊंट की चोरी निहुरे निहुरे तो हो नहीं सकती’’।

‘‘शून्य त्रुटि’’ परीक्षा के लिए प्रतिबद्ध सरकार की नाक के नीचे गड़बड़ियां।

18 जून को हुई यूजीसी-नीट की परीक्षा भी रद्द की जा चुकी , थीं । तथापि कारण जनसाधारण को बतलाए नहीं गए हैं। इस तरह एनटीए की स्थापना के 6 सालों में सिर्फ 2 बार, साल 2018 और 2023 में पेपरलीक और गड़बड़ी की शिकायत नहीं आई? मतलब शिक्षा क्षेत्र के विकास की स्थिति नहीं मिली? अब यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो चुकी है कि नीट परीक्षा में ग्रेस मार्क से लेकर ओएमआर शीट व फायनल स्कोर कार्ड में अंतर, 67 उम्मीदवार को 720 में से 720 अंक, एक ही सेंटर से 6 उम्मीदवारों को नम्बर वन ऑल इंडिया रेंकिग, ग्रेस मार्क सहित 718-719 अंक संभव नहीं, सिलेबस व आंसर के हिसाब अलग-अलग आंसर गलत प्रश्नपत्र का बंटना, अंतिम तिथि 9 मार्च तक रजिस्ट्रेशन के बाद फिर अचानक 8 अप्रैल को रजिस्ट्रेशन खोलना, नियत तिथी 13 जून के पूर्व ही 4 जून जिस दिन लोकसभा चुनाव के परिणाम आ रहे थे, परिणाम घोषित कर देना, आदि आदि गड़बडियां, धांधलीयां सामने आ चुकी हैं। गड़बडियों की भयानकता व व्यापकता इतनी विशाल पैमाने पर हुई है कि विभिन्न राज्यों के लगभग 20 हजार छात्रो ने उच्चतम न्यायालय एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों में नीट के विरूद्ध याचिका दायर की है। उत्तर प्रदेश के विधायक बंदीराम जो पूर्व में पेपर लीक के मामले में दो बार जेल जा चुके है, का नाम फिर से इस पेपर लीक कांड में सुर्खियों में आया है। सीबीआई ने पहली दो महत्वपूर्ण गिरफ्तारियां मनीष प्रकाश एवं आशुतोष की पटना से की हैं।

नैतिक जिम्मेदारी स्वीकारी! परंतु मात्र संकेतात्मक?

अंततः शिक्षा मंत्री को इन अनियमितताओं व गड़बडियों को देखते हुए नैतिक जिम्मेदारी वह भी मात्र ‘‘शब्दों’’ के द्वारा ‘‘कार्य रूप’’ में नहीं? स्वीकार करना पड़ा। एनटीए को क्लीन चिट देने में की गई जल्दबाजी को भी स्वीकारा। मगर अब भी लगता नहीं कि ‘‘शुतुरमुर्ग ने रेत में से सर निकाल लिया’’। अंततः इस गड़बड़ी को रोकने एवं पारदर्शिता लाने के लिए 7 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति आईएसआरओ के पूर्व चेयरमेन के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में गठित की गई है। परिणाम स्वरूप एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह को हटा दिया गया। यज्ञपि उनके खिलाफ न तो कोई आरोप लगाया गया है और न ही अभी तक कोई जांच बैठाई गई है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पेपर लीक को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अध्यादेश 2024 लाने को मंजूरी दे दी है, जिसमें उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। साथ ही मध्य प्रदेश में भी पेपर लीक व अन्य गड़बड़ियों को रोकने के लिए सरकार एक अध्यादेश ला रही है, जिसमें एक करोड रुपए तक जुर्माने एवं 10 साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया है। हालत यह है कि जैसे ‘‘बंदरिया मरे बच्चे को भी सीने से चिपकाए रहती है’’, इतना सब होने के बावजूद एनटीए की ’उपयोगिता’ पर तथा उसकी विश्वसनीयता खत्म होने के लिए कौन जिम्मेदार है, कोई सार्थक प्रश्नवाचक चिन्ह नहीं उठ रहा है?

राष्ट्रीय चिंता एवं चिंतन कब?

उपरोक्त फायदे के साथ परीक्षा लीक का एक बड़ा महत्वपूर्ण नुकसान जरूर जेहन में आता है कि यह राष्ट्रीय चिंता एवं चिंतन का विषय होना चाहिए? जो नहीं है। एनटीए की परीक्षा प्रणाली के मजबूत तंत्र में कोई ‘‘दरार’’ होकर ‘‘लीकेज’’ हो जाती है। जहां प्रारंभ में शिक्षा मंत्री ने नीट पेपर में किसी भी प्रकार की गड़बडी से बिल्कुल इंकार किया था। कुछ समय बाद फिर दो जगहों पर अनियमितताओं की जानकारी बात कही। फिर प्राथमिकी दर्ज हुई। फिर अभी तक (बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात से) लगभग 40 से अधिक गिरफ्तारी हो चुकी है। तथापि किंगपिन संजीव मुखिया अग्रिम जमानत कराने के ‘‘कवरेज’’ में है। फिर मामला अंततः सीबीआई को सौंपा गया। यानी ‘‘गयी भैंस पानी में’’। 1563 ग्रेस अंक पाने वाले विद्यार्थियों के लिए एनटीए ने पुनः परीक्षा कराई है। इस प्रकार चरणबद्ध रूप से यह स्वीकृति इस बात को प्रदर्शित करती है कि एनटीए संस्थान में चूना लगाने वाले कुछ ‘‘अति बुद्धिमान’’ लोग हमारे तंत्र में मौजूद है, जो ‘‘देशी शत्रु’’ हैं। चिंता का विषय यह है कि इन तंत्रों का उपयोग कर विदेशी शत्रु देश हमारे देश की सुरक्षा लीक करवाकर कहीं खतरा तो पैदा नहीं कर देगें? इस बात की गहन चिंता प्रत्येक नागरिक को जरूर होना चाहिए, जिसको रोकने के लिए सरकार को इस तरह के संवेदनशील तंत्रों को ‘‘लीक-प्रूफ’’ बनाने की नितांत आवश्यकता है। इसके लिए विद्यमान समस्त कमियों को दूर करने की नितांत आवश्यकता है।

‘‘केन्द्रीय सरकार’’ व ‘‘उच्चतम न्यायालय’’। ‘‘असमंज’’ की स्थिति।

अंत में सबसे आश्चर्य की बात यह भी है कि उपरोक्त गड़बड़ियां के बावजूद न तो उच्चतम न्यायालय ने और न ही केन्द्रीय सरकार ने नीट परीक्षा को निरस्त करने का निर्णय अभी तक लिया है। अंततः यदि काउंसलिंग के बाद पेपर निरस्त किया जाता है जिसकी पूर्ण संभावना दिख रही है, तब छात्रों का समय और अधिक बर्बाद होगा, इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। उच्चतम न्यायालय द्वारा तुरंत लगातार सुनवाई न करना, काउंसलिंग पर रोक न लगाने से यह लगता है कि कहीं न कहीं स्थिति की गंभीरता को उच्चतम न्यायालय नहीं ले रहा है। ठीक वैसे ही जब उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में बनाये गये कानून की वैधता पर सुनवाई चुनाव के बाद करने की कही थी।

उपसंहार।

‘‘व्यापक’’ स्तर पर हुई गड़बड़ियों को देखते हुए नीट परीक्षा का निरस्त होना निश्चित है । फिर चाहे यह कार्य एनटीए या शिक्षा मंत्री अथवा उच्चतम न्यायालय करे।