नई दिल्ली। पूर्व मंत्री एवं दिल्ली के कद्दावर कांग्रेसी नेता राजकुमार चौहान के इस्तीफे देने से प्रदेश कांग्रेस में उपजा असंतोष थमेगा नहीं बल्कि और बढ़ेगा। वजह, उत्त्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी दोनों ही सीटों पर टिकट वितरण से ज्यादातर नेता- कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं। उनकी कोशिश तो अभी भी उम्मीदवार बदलवाने की चल रही है।

दरअसल, अगस्त 2023 तक दिल्ली में हाशिए पर चल रही कांग्रेस की प्रदेश इकाई सितंबर 2023 में अरविंदर सिंह लवली के अध्यक्ष बनने के बाद एक बार फिर खड़ी हाेनी शुरू हुई। सालों से घर बैठे कांग्रेसी भी फिर से पार्टी कार्यालय आने लगे। लेकिन आलाकमान के निर्णय एक बार फिर पार्टी की मजबूती की राह में रोड़ा बन गए।

बाहरी उम्मीदवारों को टिकट देने का विरोध

पहला निर्णय आप के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन तो दूसरा तीन में से दो सीटों पर स्थानीय के बजाए बाहरी उम्मीदवारों को टिकट देना रहा। अभी तक उक्त निर्णयों के विरोध स्वरूप नेताओं-कार्यकर्ताओं के मन में चिंगारी सुलग रही थी तो अब खुलकर सामने आ गया।

वरिष्ठ पार्टी नेताओं का मानना है कि आप से गठबंधन का मतलब खुद अपनी जमीन छोड़ते जाना है। कांग्रेस से नाराज होकर जो लोग आप के पास चले गए थे, अब वापस कांग्रेस की ओर मुंह ताक रहे थे। लेकिन आप-कांग्रेस के गठबंधन से दिल्ली वासी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। रही सही कसर उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार और उत्तर पश्चिमी दिल्ली से उदित राज को टिकट देकर पूरी कर दी गई।

"कार्यकर्ता कांग्रेस के लिए मेहनत करेगा ही क्यों?"

अनेक पार्टी नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कोई नेता कार्यकर्ता कांग्रेस के लिए मेहनत करेगा ही क्यों? चार सीटें आप को दे दी गई जबकि दो सीटों पर बाहर के उम्मीदवार लाकर बैठा दिए गए।

ऐसे में जो नेता- कार्यकर्ता लगातार यहां पार्टी की मजबूती के लिए कार्य कर रहे थे, अब कहीं के भी न रहे। उक्त दोनों लोकसभा क्षेत्रों की बैठक में पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान, पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार, जयकिशन एवं भीष्म शर्मा उम्मीदवारों के चयन पर सवाल भी उठा चुके हैं।

मल्लिकार्जुन खरगे को कराया गया अवगत

सूत्रों की मानें तो प्रदेश कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता भी स्वीकार कर रहे हैं कि चांदनी चौक को छोड़कर बाकी दो सीटों पर उम्मीदवारों का चयन सही नहीं हुआ। बड़े पैमाने पर इनका विरोध भी हो रहा है और आने वाले समय में दिल्ली में कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इसीलिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिलकर उन्हें सारी स्थिति से अवगत कराने और उम्मीदवारों के नाम पर एक बार पुनर्विचार का अनुरोध करने की योजना पर काम चल रहा है।