कानपुर । आईआईटी कानपुर ने ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया) से परेशान लोगों के लिए अच्छी खबर दी है। आईआईटी के बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अमिताभ बंधोपाध्याय ने अपनी टीम के साथ गठिया रोग की दवा को खोजने का दावा किया है। उनका कहना है कि इस दवा से बीमारी रुकेगी या फिर बढ़ेगी नहीं। 
वैज्ञानिकों ने इसका ट्रायल 100 चूहों पर किया है, जो कि पूरी तरीके से सफल रहा है। अब वैज्ञानिक इसका ट्रॉयल तीन महीने के अंदर के कुत्तों पर करने वाले हैं। प्रोफेसर बंधोपाध्याय का कहना है कि सफलता मिलने के साथ ही फंड की व्यवस्था होने पर इसका ट्रायल इंसानों पर भी होगा। हालांकि उसमें अभी काफी समय लगेगा। 
प्रोफेसर बंदोपाध्याय का कहना है कि इस बीमारी से ग्रसित लोगों की हड्डियों के पास बने कार्टिलेज के अगल-बगल हड्डियां दिखने लगती हैं। इन्हीं लक्षणों से ही इस बीमारी को पहचाना जाता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस रोगी को लंबे समय तक दवा खानी पड़ती है। अंत में हड्डी का रिप्लेसमेंट ही इसका विकल्प होता है। 
प्रोफेसर बंदोपाध्याय का कहना है कि दवा के लिए पीएचडी छात्रों को कनाडा भेजा और चूहों की सर्जरी कराई। इसके बाद चूहों में ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण समाहित किए। फिर इसतरह चूहों पर दवा को इंजेक्ट किया। चूहों में तीन महीने तक बीमारी नहीं बढ़ी। प्रोफेसर अमिताभ ने बताया कि चूहों पर तीन माह तक बीमारी न दिखने से सकारात्मक प्रमाण सामने आए। इससे लगता है कि यह दवा इंसानों पर भी कारगर साबित होगी। चूहों की औसत उम्र 18 महीने तक की होती है। अब आने वाले तीन महीने के अंदर ही कुत्तों पर भी इसका ट्रायल किया जाएगा।