मंत्रिपरिषद में दिखेगी चुनावी झलक, संगठन में फेरबदल भी होगा मप्र के 3 सांसदों को मौका!


नई दिल्ली  ।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुलाई है। भाजपा सूत्रों के अनुसार इस बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन में फेरबदल की रूपरेखा बनाई जाएगी। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में होने वाले विस्तार में इस वर्ष के अंत में होने वाले चुनावी राज्यों के सांसदों को अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। माना जा रहा है कि मप्र के 3 सांसदों को मंत्रिमंडल में मौका मिल सकता है।
मंत्रिमंडल विस्तार 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया जाएगा। मप्र कोटे के फिलहाल 7 नेता केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हैं।  इनमें से दो को हटाकर संगठन में लाया जा सकता है। साथ ही जिन 3 नेताओं के नाम पर चर्चा चल रही है उनमें विंध्य से सांसद गणेश सिंह, देवास से महेन्द्र सिंह सोलंकी और महाकौशल से राकेश सिंह को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है, जबकि प्रहलाद पटेल और वीरेन्द्र खटिक में से किसी एक को मंत्रिमंडल से हटाकर संगठन में शामिल किया जा सकता है। इसी तरह राजस्थान से दो सांसदों को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। वहीं छत्तीसगढ़ से विजय बघेल और सरोज पांडे के नाम पर चर्चा चल रही है।
फिलहाल मोदी कैबिनेट में 76 मंत्री शामिल हैं और अधिकतम 85 मंत्री रह सकते हैं। ऐसे में 9 मंत्रियों की जगह खाली है,  ऐसी स्थिति में मोदी कैबिनेट से एक दर्जन मंत्रियों की छुट्टी की संभावना है। इनमें संजीव बालियान, अनुराग ठाकुर, पीयूष गोयल, भूपेन्द्र सिंह, धर्मेन्द्र प्रधान के नाम पर चर्चा है। पीयूष गोयल को राजस्थान और धर्मेन्द्र प्रधान को उत्तरप्रदेश का प्रभारी बनाया जा सकता है।
मप्र से अभी पांच मंत्री मोदी सरकार में हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल में नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं। इस संदर्भ में गत दिनों प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई पार्टी पदाधिकारियों के बीच चर्चा हो चुकी है।  इस बैठक में जेपी नड्डा की भागीदार के साथ ही अटकलें तेज हो गईं कि राज्य स्तर सहित सरकार और भाजपा संगठन में कई बदलाव हो सकते हैं। पिछले कुछ दिनों से अमित शाह, जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष ने संगठनात्मक और राजनीतिक मुद्दों पर कई दौर की चर्चा की है।
गौरतलब है की भाजपा के मिशन 2024 में मप्र की बड़ी भूमिका होगी। इसलिए इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा मप्र में बड़ी जीत चाहती है। इसके लिए भाजपा हर वर्ग को साधने में जुटी है। इसी बीच, केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार की अटकलों के बीच मप्र से कुछ नेताओं को जगह मिलने और कुछ को वापस भेजकर संगठन की जिम्मेदारी देने की चर्चा तेज हो गई है। इसमें आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को बनाए रखने की कोशिश होगी। प्रदेश से अभी केंद्र में नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेद्र खटीक ये पांच मंत्री हैं। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और एल. मुरुगन भी प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन वे यहां के रहने वाले नहीं हैं। इनको मिलाकर  मप्र से केंद्र में मंत्रियों की संख्या सात है। प्रदेश के ग्वालियर-चंबल से दो मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। वहीं, बुंदेलखड से प्रह्लाद पटेल और वीरेंद्र खटीक मंत्री हैं। इसके अलावा महाकौशल से फग्गन सिंह कुलस्ते मंत्री हैं। केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार की अटकलों के साथ प्रदेश में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण साध कर प्रदेश से दो नए चेहरों को मौका मिलने की चर्चा तेज हो गई है। वहीं, एक मंत्री को संगठन के काम में लगाने के लिए हटाया जा सकता है।
संभावित फेरबदल में माना जा रहा है कि गुजरात कोटे के कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है। वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, मनसुख मांडविया, परषोत्तम रूपाला, दर्शना जरदोस, देवूसिंह चौहाण और महेन्द्र मुंजपरा मंत्री हैं। गुजरात कोटे के मंत्रियों की अगर छंटनी होती है, तो मनसुख मांडविया, परषोत्तम रूपाला और दर्शना जरदोश की कुर्सी पर अधिक खतरा है। कैबिनेट से पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान की भी रुखसती हो सकती है। सियासी गलियारों में दोनों को संगठन में भेजे जाने की चर्चा जोरों पर है। फेरबदल में बिहार-यूपी के मंत्रियों का भी पत्ता कट सकता है। मंत्रिमंडल में बिहार और यूपी से 20 मंत्री हैं। बिहार से अश्विनी चौबे, पशुपति पारस और आरके सिंह की कुर्सी खतरे में है। मोदी कैबिनेट में महाराष्ट्र से अभी 8 मंत्री हैं। इनमें नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, नारायण राणे और रामदास आठवले का नाम प्रमुख हैं। महाराष्ट्र से शिंदे गुट ने 3 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल का प्रस्ताव दिया है। अगर यह प्रस्ताव माना जाता है, तो भजापा अपने कोटे से कुछ मंत्रियों को बाहर कर सकती है।