कई माताओं को प्रसव के बाद दूध नहीं होता इसलिए उनका नवजात स्तनपान से वंचित हो जाता है। कई ऐसे बच्चे भी हैं, जिनकी माता किसी कारणवश दुनिया में नहीं हैं। ऐसे शिशुओं को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग बोकारो, दुमका, हजारीबाग व रांची अस्पताल में मानव दूध बैंक बनाने जा रहा है।

इसकी स्थापना पर सवा करोड़ रुपये खर्च होगा। निविदा की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राज्य योजना से ये बैंक (ह्यूमन मिल्क बैंक) स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए दो तिहाई राशि केंद्र व एक चौथाई राज्य बजट से खर्च होगी।

इस दूध से बच्चों का विकास नहीं होगा प्रभावित

नवजात में रुग्णता और उनकी मृत्यु दर कम करने के लिए स्तनपान जरूरी माना जाता है। इसके लिए चयनित एजेंसी दूध दान करने वालों के बीच जागरूकता भी चलाएगी।

चिकित्सकों का कहना है कि मानव दूध बैंक से जिले को काफी लाभ मिलेगा। प्रत्येक 100 प्रसूता माताओं में से तीन चार के साथ ऐसी समस्या आती है।

नवजात बच्चे स्तन पान के बिना कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित होते हैं। ऐसे बच्चों के लिए यह वरदान साबित होगा।

खासकर ऐसे नवजात, जिनकी माताएं उन्हें किसी शारीरिक अक्षमता अथवा किसी घातक बीमारी की वजह से स्तनपान नहीं करवा पाती या फिर प्रसव के बाद जिन मां को दूध बिल्कुल नहीं या बेहद कम आता हो, उनके लिए यह बैंक वरदान साबित होगा।

बैंक में माताएं अपनी इच्‍छा से दूध दान कर सकेंगी

बैंक से दुग्ध लेने पर बच्चों के विकास पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह ऐसा बैंक होगा जहां नवजात के लिए मां के दूध को संरक्षित करके रखा जाएगा। दूध बैंक में महिलाएं अपनी इच्छा से दूध दान कर सकेंगी।

देश के कई राज्यों में इस तरह के दूध बैंक हैं, जिनसे नवजात बच्चों को दूध उपलब्ध कराया जाता है। दूध दान करने के लिए भी शर्त:दूध दान करने के लिए इच्छुक या तैयार माताओं की स्क्रीनिंग कराई जाएगी। उन्हें विकल्प भी दिया जाएगा।

स्तन के दूध को 8 महीने तक पाश्चुकृत और संग्रहित किया जा सकता है। हालांकि दूध दान करने वाली महिलाओं के लिए सबसे पहली शर्त है कि वह स्वस्थ होनी चाहिए। वर्तमान में स्तनपान करा रही हो, हेपेटाइटिस का कोई सबूत नहीं हो तथा एचआइवी निगेटिव हो। ऐसी महिलाएं ही दूध दान कर सकती हैं।