राजधानी की मंडियों में बरसाती हरी सब्जियों की आवक इतनी ज्यादा है कि खरीदार कम पड़ गए हैं। इस वजह से थोक बाजार में सब्जियों के भाव धड़ाम हो गए है। 5 से 25 रुपये में ही सभी हरी सब्जियों के भाव सिमट कर रह गए है। वहीं, टमाटर भी थोक मंडी में अपनी धमक नहीं दिखा पा रहा है। बेंगलुरु का टमाटर जो सबसे अधिक महंगा होता है उसका भाव भी अधिकतम 35 रुपये ही प्रतिकिलो है। बावजूद इसके खुदरा बाजार में कीमतों में कमी नहीं आई है।

60 से 70 रुपये प्रतिकिलो बिक रहीं अधिकतर सब्जियां

खुदरा बाजार में सब्जियों के भाव अब भी आसमान छू रहे है। भिंडी, कुंदरु, बैगन, सीताफल, घीया समेत अन्य हरी सब्जियां 60-70 रुपये प्रतिकिलो से कम नहीं है। दिल्ली की पॉश कॉलोनियों में तो ये भाव बढ़कर 80 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गया है। भिंडी की बात करें तो होलसेल मंडी में 5 रुपये, घीया 10 रुपये और कुंदरू 10 रुपये किलो बिक रहा है। बैंगन जो खुदरा बाजार में 40 रुपये प्रतिकिलो से कम नहीं है, वह थोक में 8-10 रुपये बिक रहा है। इसी तरह खीरा 8 से 10 रुपये और सीताफल 20 रुपये प्रतिकिलो बिक करा है। सबसे महंगी सब्जी इन दिनों बींस है वह भी महज 25 रुपये ही प्रतिकिलो थोक भाव में है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सभी सब्जियों के भाव में कितनी गिरावट आई है।

बारिश की वजह से सब्जियों की आवक अधिक

वेजिटेबल ट्रेड एसोसिएशन आजादपुर मंडी के महासचिव अनिल मल्होत्रा का कहना है कि बारिश की वजह से हरी सब्जियां अधिकांश मात्रा में आ रही है। बरसाती हरी सब्जियों की आवक ज्यादा होने की वजह से खरीदार नहीं है। किसानों को इस वजह से सस्ते भाव में ही अपनी सब्जियों को बेचने पड़ रहे है। उन्होंने बताया कि टमाटर का भाव भी काफी गिर गया है। हिमाचल में टमाटर खराब होने के बावजूद थोक मंडी में 25 रुपये किलो तो बेंगलुरु का टमाटर 30-35 रुपये प्रतिकिलो बिका।

खुदरा बाजार में सरकार का नियंत्रण नहीं

आजादपुर मंडी के आढ़ती संदीप खंडेलवाल का कहना है कि खुदरा बाजार में किसी तरह का कंट्रोल सरकार का नहीं होने की वजह से भाव बराबर बढ़ा रहता है। थोक मंडी के उतार-चढ़ावा का असर जल्दी नहीं दिखता है। हरी सब्जियों के भाव काफी गिरे हैं, लेकिन खुदरा बाजार में पहुंचकर यह महंगे हो जाते है।