भोपाल ।  कूनो अभ्यारण्य में लगातार हो रही चीतों की मौत पर चीता प्रोजेक्‍ट प्रमुख  एसपी यादव ने सफाई दी है कि  कूनो में किसी चीते की मौत रेडियो कॉलर से नहीं हुई। उन्होंने ने कहा, इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि किसी चीते की मौत रेडियो कॉलर के कारण हुई है। मैं कहना चाहता हूं कि रेडियो कॉलर के बिना जंगल में निगरानी संभव नहीं है।  कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए चीतों की लगातार हो रही मौतों के बीच इस प्रोजेक्‍ट के प्रमुख एसपी यादव का अहम बयान सामने आया है। उन्‍होंने कहा है कि रेडियो कॉलर के कारण एक भी चीता की मौत नहीं हुई। यादव राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के सदस्य सचिव भी हैं। उन्‍होंने चीता प्रोजेक्‍ट के एक वर्ष पूरे होने पर श्री यादव ने कहा कि मांसाहारी और जानवरों की निगरानी दुनिया भर में रेडियो द्वारा की जाती है। यह एक सिद्ध तकनीक है। उन्होंने कहा, इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि किसी चीते की मौत रेडियो कॉलर के कारण हुई है। मैं कहना चाहता हूं कि रेडियो कॉलर के बिना जंगल में निगरानी संभव नहीं है। इस तरह की खबरें सामने आ रही थीं कि कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत का कारण रेडियो कॉलर से जुड़ा संभावित संक्रमण हो सकता है। इस पर यादव ने यह सफाई दी है। यादव ने बताया कि कुल 20 चीते नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे, जिनमें से 14 (वयस्क) पूरी तरह से स्वस्थ हैं। चार चीते भारत की धरती पर पैदा हुए थे और उनमें से एक अब छह महीने का है और ठीक है। जलवायु संबंधी कारकों के कारण तीन शावकों की मौत हो गई। इस साल मार्च से कूनो नेशनल पार्क में नौ चीतों की मौत हो गई। यादव ने कहा कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान में शिकार या अवैध शिकार के कारण किसी चीते की मौत नहीं हुई। आमतौर पर, इतनी लंबी दूरी के स्थानांतरण में, चीता मर सकता है क्योंकि यह एक संवेदनशील जानवर है लेकिन ऐसी कोई मौत नहीं होती। चीते को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में ले जाने का प्रयास कभी नहीं किया गया और यह पहला जंगली से जंगली स्थानांतरण था और इसमें बहुत सारी चुनौतियाँ थीं।