नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु से लोकसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में उनकी व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचा है। राजनीतिक हलकों में यह कहा जा रहा है कि भाजपा के लिए दक्षिण का प्रवेश द्वार बंद हो गया हैं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण के राज्य तमिलनाडु से चुनाव लड़कर अपने व्यक्तिगत जादू को बरकरार बनाए रखेंगे। तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों में से 25 सीटें तमिलनाडु से जीतने का लक्ष्य लेकर, तमिलनाडु से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी मोदी कर रहे हैं। जब उन्होंने बनारस से चुनाव लड़ा था। तब भी उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य में अपना जादू दिखाया था।
संसद भवन के उद्घाटन समारोह में सिंगोल लाकर,संसद भवन में स्थापित करने के पीछे भी यही सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है। तमिलनाडु के हर प्रसिद्ध मंदिर से एक ब्राह्मण को हवाई जहाज के माध्यम से दिल्ली लाया गया था। जब इन ब्राह्मणों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिंगोल भेंट किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साष्टांग दंडवत करते हुए ब्राह्मणों को प्रणाम कर योजना का श्रीगणेश कर दिया है। मीडिया में इसका प्रचार-प्रसार भी बड़े पैमाने पर किया गया है। विशेष रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में स्थानीय भाषा में धार्मिक तौर पर सिंगोल स्थापित करने की बात कही गई है।
अभी तक तमिलनाडु से भारत का कोई प्रधानमंत्री नहीं बना है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के कामराज नाडार का,नेहरू जी के बाद प्रधानमंत्री बनना था। लेकिन उस समय लाल बहादुर शास्त्री को उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें होने के कारण प्रधानमंत्री बनाया गया था। उसके बाद केजी मूपनार को भी प्रधानमंत्री बनाने की कोशिश हुई।लेकिन यह संभव नहीं हो पाया।
तमिलनाडु की 88 फ़ीसदी आबादी हिंदू है। इस में ब्राह्मणों की संख्या सबसे कम है। 50 फ़ीसदी से ज्यादा हिंदू दलित और पिछड़े वर्ग के हैं। 30 फ़ीसदी से ज्यादा हिंदू अन्य समुदायों में बंटे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछड़े और दलितों के बीच जाकर अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं। इसकी सुनियोजित रणनीति कई माह पहले बना ली गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी बनारस से सांसद है।वह उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यदि वह तमिलनाडु से लोकसभा चुनाव जीतकर,प्रधानमंत्री बनेंगे, तो पहली बार तमिलनाडु का प्रधानमंत्री होगा। इस बहाने दक्षिण के राज्यों में भारतीय जनता पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले कई वर्षों से तमिलनाडु में अपना विस्तार कर रहा है। इस विस्तार में अब तमिल ब्राह्मणों को भी शामिल कर लिया गया है। सिंगोल के रूप में तमिलनाडु को हिंदू राजाओं और हिंदू इतिहास से जोड़कर,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु से हिंदुओं मे दलित और पिछड़ों की राजनीति करके, डीएमके और अन्ना डीएमके के वोट बैंक में सेंध लगाने की सुनियोजित रणनीति के तहत, तमिलनाडु से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं।
कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत छवि को जो आघात पहुंचा है। उसको तमिलनाडु के माध्यम से एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साबित करना चाहतें है कि उनका जादू बना हुआ है। तमिलनाडु में जहां एक भी लोकसभा सीट भाजपा के पास नहीं है। वहां की 25 सीटें जीतने की रणनीति भाजपा तैयार कर रही है। इस बात के संकेत अभी नहीं मिले हैं, प्रधानमंत्री मोदी 2 स्थानों से चुनाव लड़ेंगे, या अकेले तमिलनाडु की किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। इतना तय माना जा रहा है, कि प्रधानमंत्री इस बार तमिलनाडु से चुनाव अवश्य लड़ेंगे। उत्तर भारत में जो नुकसान होगा उसकी भरपाई इस बार दक्षिण के राज्य करेंगे। सिंगोल और तमिल के ब्राह्मण दक्षिण के राज्यों में हिंदुओं को एकजुट करेंगे।