छत्तीसगढ़ में शराबबंदी करने का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार यहां लगातार शराब बिक्री का लक्ष्य बढ़ा रही है। विगत चार वर्षों में शराब की बिक्री में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। इस वर्ष तो बिक्री के पिछले सभी रिकार्ड ही टूट गए हैं। वर्ष 2022—23 में आबकारी विभाग ने शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व का लक्ष्य बार-बार बढ़ाया।

हालांकि, मदिरा प्रेमियों ने विभाग का अंतिम लक्ष्य भी पार कर दिया है। इस वर्ष राज्य में 15 हजार करोड़ रुपये की शराब बेची गई, जिससे सरकार को 6800 करोड़ रुपये का टैक्स मिला है। यह निर्धारित लक्ष्य से 300 करोड़ रुपये अधिक है। आबकारी विभाग ने वर्ष के प्रारंभ में 5000 करोड़ राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया था।बाद में इसे बढ़ाकर 5500 करोड़ फिर 6500 करोड़ किया। हासिल किया 6800 करोड़। शराब पर लगने वाले टैक्स में दस रुपये प्रति बोतल गोधन न्याय योजना का भी शामिल है। राज्य सरकार की कई योजनाएं शराब से मिलने वाले टैक्स पर निर्भर हैं।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री विजय शर्मा ने कहा कि शराब बिक्री का रिकार्ड बताता है कि राज्य नशे में डूब रहा है। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में शराब दुकानों की संख्या बढ़ा रही है। किसानों को धान का पैसा देकर शराब से झोली में भर रही है। भाजपा के प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने कहा कि सरकार शराब से चल रही है। यदि शराब तस्करी जोड़ दें तो आंकड़ा और बढ़ जाएगा।

आबादी के अनुपात में सर्वाधिक खपत छत्तीसगढ़ में

नेशनल हेल्थ सर्वे 2022 की दिसंबर की रिपोर्ट बताती है कि आबादी के अनुपात में सर्वाधिक शराब पीने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ सबसे आगे है। यहां 35.6 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं। 34.7 प्रतिशत के साथ त्रिपुरा दूसरे व 34.5 प्रतिशत के साथ आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है।