सुचिता (सकुनिया) खंडेलवाल बैतूल/कलकत्ता  

चलो इस साल कुछ नया करते हैं

चलो इस साल कुछ नया करते हैं,  
साल की शुरुआत कुछ सीखने से करते हैं।  
बीती बातों को भुलाकर आगे बढ़ने से करते हैं,  
नए सपनों को दिल से अपनाने से करते हैं।  

छोटी-सी तो जिंदगी है,  
गिले-शिकवे मिटाने से करते हैं।  
पराए हों या अपने,  
सबको अपना बनाने से करते हैं।  

जो हरपल इर्द-गिर्द रहती है,  
उसके संग हर लम्हा जीने से करते हैं।  
जो उसकी मुस्कान और अदाओं में छिपा सुकून है,  
उसे महसूस करने से करते हैं।  
और जब वो थका-हारा लौटे दिनभर की उलझनों से,  
उसके साथ सुकून के दो पल मौन में शब्द ढूंढने से करते है।

चलो इस साल कुछ नया करते हैं,  
रिश्तों में छुपी खामोश बातों को फिर से कहने से करते हैं।  
जो दिल दुखा बैठे थे कभी,  
उन्हें गले लगाकर मनाने से करते हैं।  
क्या हुआ जो अब तक अनकहे रह गए जज़्बात,  
इस बार उन्हें समझाने की कोशिश से करते हैं।  
जिंदगी के रुठने से पहले,  
रूठों को हंसाकर मनाने से करते हैं।  

चलो इस साल कुछ नया करते हैं,  
खुशियों की छोटी-छोटी रेत की बूँदों को पकड़ने से करते हैं।  
खुद से खुद को प्यार करने के वादे  से करते है,
दूर वादियों में खो कर खुद को ढूंढने से करते है
काम तो हर दिन करना ही है,  
कुछ पल जिंदगी को जीने से करते हैं।  

चलो इस साल कुछ नया करते हैं,  
नए साल की शुरुआत कुछ सीखने से करते हैं।  

Happy new year 
SUCHITA SAKUNIA 
E-mail id:suchitasakunia.SS@gmail.com